भारत ने दिसंबर 2025 में अपनी प्राचीन मेरिटाइम धरोहर को पुनर्जीवित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। भारतीय नौसेना का जहाज कौंडिन्या गुजरात से ओमान के लिए अपनी पहली समुद्री यात्रा पर निकल पड़ा। यह यात्रा भारत की गहरी समुद्री संस्कृति, सांस्कृतिक कूटनीति और नौसैनिक धरोहर का प्रतीक है।
यह खबर में क्या खास है?
- भारतीय नौसेना ने 29 दिसंबर, 2025 को पोरबंदर से मस्कट के लिए आईएनएसवी कौंडिन्या को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
- यह इस पोत की पहली विदेशी यात्रा है और यह भारत और ओमान के बीच प्राचीन समुद्री व्यापार मार्गों का पुन: अनुसरण करती है।
INSV कौंडिन्या क्या है?
- INSV कौंडिन्या स्वदेशी रूप से निर्मित एक पारंपरिक सिलाई वाली नौका है।
- इसका निर्माण प्राचीन जहाज निर्माण तकनीकों का उपयोग करके किया गया है, जिसमें कीलों या आधुनिक वेल्डिंग का प्रयोग नहीं किया गया है।
मुख्य विशेषताओं में शामिल हैं,
- प्राकृतिक रेशों से सिले हुए तख्तों से निर्मित
- पारंपरिक सामग्रियों और विधियों का उपयोग करता है
- ऐतिहासिक ग्रंथों और चित्रात्मक साक्ष्यों से प्रेरित
- यह भारत की स्वदेशी जहाज निर्माण और समुद्री नौवहन की विरासत को दर्शाता है।
- यह पोत प्राचीन भारतीय समुद्री जहाजों की सजीव प्रतिकृति है।
ध्वजारोहण समारोह
- इस यात्रा को पश्चिमी नौसेना कमान के ध्वज अधिकारी कमान-इन-चीफ कृष्णा स्वामीनाथन ने औपचारिक रूप से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
- इस समारोह में ईसा सालेह अल शिबानी, भारतीय नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी और विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे।
भारत-ओमान का हिस्टॉरिकल मेरिटाइम रिलेशन
यह यात्रा उन मार्गों का अनुसरण करती है जो कभी भारत के पश्चिमी तट को ओमान से जोड़ते थे।
सदियों से, इन मार्गों ने सक्षम बनाया,
- समुद्री व्यापार
- सांस्कृतिक विनियमन
- हिंद महासागर के पार सभ्यतागत अंतःक्रिया
यह अभियान गुजरात-ओमान के ऐतिहासिक संबंधों पर प्रकाश डालता है, जिसने प्राचीन हिंद महासागर व्यापार नेटवर्क में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
क्रू और लीडरशिप
इस अभियान का नेतृत्व इनके द्वारा किया जा रहा है,
- कमांडर विकास शेओरान – पोत के कप्तान
- कमांडर वाई. हेमंत कुमार – प्रभारी अधिकारी (संकल्पना के समय से ही संबद्ध)
- इस दल में 4 अधिकारी और 13 नौसैनिक शामिल हैं, जिन्हें पारंपरिक नौकायन विधियों को संचालित करने का प्रशिक्षण दिया गया है।
इस यात्रा का महत्व
यह यात्रा कई मायनों में महत्वपूर्ण है।
- समुद्री विरासत पुनरुद्धार : यह एक वास्तविक समुद्री यात्रा के माध्यम से भारत की प्राचीन समुद्री परंपराओं को पुनर्जीवित करने और समझने में मदद करता है।
- समुद्री कूटनीति: यह अभियान साझा विरासत और जन-जन संबंधों के माध्यम से भारत-ओमान द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करता है।
- हिंद महासागर का दृष्टिकोण: यह हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में एक जिम्मेदार और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध समुद्री राष्ट्र के रूप में भारत की भूमिका को दर्शाता है।
स्टैटिक बैकग्राउंड: स्टिज्ड शिप-बिल्डिंग परंपरा
- स्टिज्ड विधि से जहाज निर्माण करना हिंद महासागर क्षेत्र में प्रयुक्त एक प्राचीन तकनीक है।
- तख्तों को नारियल के रेशे, सूती रस्सियों या प्राकृतिक रेशों का उपयोग करके एक साथ सिला गया था।
- ऐसे जहाज लचीले, टिकाऊ और लंबी समुद्री यात्राओं के लिए आदर्श थे।
- ऐतिहासिक रूप से भारत एक प्रमुख समुद्री सभ्यता थी, जिसके गुजरात, कोंकण, मालाबार और कोरोमंडल तटों पर बंदरगाह थे।
की प्वाइंट्स
- आईएनएसवी कौंडिन्य पोरबंदर से मस्कट तक रवाना हुआ
- यात्रा 29 दिसंबर, 2025 को शुरू हुई।
- पारंपरिक स्टिज्ड शिप-बिल्डिंग तकनीकों का उपयोग करके निर्मित
- भारत और ओमान की समुद्री विरासत को पुनर्जीवित करता है
- समुद्री कूटनीति और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करता है
प्रश्न-उत्तर
प्रश्न: INSV कौंडिन्या महत्वपूर्ण है क्योंकि यह है:
ए. भारत का सबसे बड़ा नौसैनिक युद्धपोत
बी. परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी
सी. एक पारंपरिक सिलाई वाला नौकायन पोत
डी. एक वाणिज्यिक मालवाहक जहाज
[wp-faq-schema title="FAQs" accordion=1]