INS निस्तार कमीशन: भारत का पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट पोत नौसेना में शामिल

भारतीय नौसेना ने विशाखापत्तनम में भारत के पहले स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित डाइविंग सपोर्ट वेसल (DSV) आईएनएस निस्तार को कमीशन किया है। हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (HSL) द्वारा निर्मित यह पोत भारत की पनडुब्बी संचालन क्षमता और स्वदेशी जहाज निर्माण में एक महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है, साथ ही भारत को क्षेत्रीय सुरक्षा भागीदार के रूप में सशक्त बनाता है।

पृष्ठभूमि
आईएनएस निस्तार भारतीय नौसेना के लिए योजनाबद्ध दो डाइविंग सपोर्ट वेसलों में पहला है, जिसे सैचुरेशन डाइविंग और पनडुब्बी बचाव अभियानों को अंजाम देने के लिए विकसित किया गया है — ऐसी क्षमताएं दुनिया की केवल कुछ नौसेनाओं के पास हैं। इसका समावेश ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल और भारतीय नौसेना की स्वदेशी समुद्री शक्ति को सुदृढ़ करने के व्यापक लक्ष्य के अनुरूप है। वर्तमान में नौसेना के लिए निर्माणाधीन सभी 57 युद्धपोत भारत में ही बनाए जा रहे हैं।

प्रमुख विशेषताएं

  • अत्याधुनिक डाइविंग सिस्टम: इसमें रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल्स (ROVs), डाइविंग कंप्रेशन चैंबर्स और एक सेल्फ-प्रोपेल्ड हाइपरबैरिक लाइफ बोट शामिल हैं।

  • 300 मीटर तक की गहराई में डाइविंग और रेस्क्यू ऑपरेशन करने में सक्षम।

  • डीप सबमर्जेन्स रेस्क्यू वेसल (DSRV) के लिए ‘मदर शिप’ के रूप में कार्य करता है, जिससे पनडुब्बी चालक दल को बचाया जा सकता है।

  • विस्थापन क्षमता 10,000 टन से अधिक; कुल लंबाई 118 मीटर।

  • 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ निर्माण, जिसमें 120 से अधिक MSMEs की भागीदारी रही।

  • यह पोत नौसेना अभियानों के साथ-साथ क्षेत्रीय बचाव भागीदारी जैसे दोहरे उद्देश्यों के लिए डिज़ाइन किया गया है।

महत्त्व
आईएनएस निस्तार हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की “प्राथमिक पनडुब्बी बचाव भागीदार” के रूप में स्थिति को सुदृढ़ करता है। यह नौसेना की पनडुब्बी बचाव क्षमताओं को बढ़ाता है और संकट की स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया देने की क्षमता प्रदान करता है। यह पोत तकनीकी दृष्टि से भारत की उस क्षमता का प्रमाण है जिससे जटिल नौसैनिक प्लेटफॉर्म्स को वैश्विक मानकों के अनुरूप देश में ही बनाया जा सकता है।

रणनीतिक प्रभाव
आईएनएस निस्तार भारत की समुद्री तैयारियों और परिचालन आत्मनिर्भरता को और मजबूत करता है। यह रणनीतिक सहयोग को सक्षम बनाता है, जिससे मित्र देशों की नौसेनाओं को पनडुब्बी आपात स्थितियों में सहायता दी जा सके। यह कमीशनिंग न केवल एक सामरिक उन्नयन है, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत भारत की नौसैनिक औद्योगिक परिपक्वता का प्रतीक भी है।

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vikash

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