भारत की थोक महंगाई मई में तेजी से बढ़कर 15 माह के उच्च स्तर 2.61 प्रतिशत पर पहुंच गई जबकि यह अप्रैल में 1.26 प्रतिशत ही थी। प्रतिकूल आधार प्रभाव और खाद्य वस्तुओं के दामों में तेजी से इजाफे के कारण थोक महंगाई बढ़ी। थोक महंगाई को थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) के रूप में मापा जाता है।
मई में खाद्य उत्पादों की महंगाई 9.82 प्रतिशत रही, जबकि इसके एक साल पहलेे यानी मई 2023 में थोक महंगाई -3.61 प्रतिशत थी। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के शुक्रवार को जारी आंकड़े के अनुसार मई में थोक महंगाई के बढ़ने में ईंधन और बिजली के अलावा अन्य कारकों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई और इन कारकों की महंगाई सालाना आधार पर बढ़ी या मासिक आधार पर उनकी कीमत कम गिरी।
खाद्य वस्तुओं में मुख्यत: सब्जियों (32.42 प्रतिशत), दाल (21.95 प्रतिशत), अनाज (9.01 प्रतिशत), फल (5.81 प्रतिशत) और गेहूं (6 प्रतिशत) के दाम बढ़ने का असर थोक महंगाई पर देखा गया। वैसे तो इस माह के दौरान आलू (64.05 प्रतिशत), प्याज (58.05 प्रतिशत), धान (11.79 प्रतिशत) के दामों में गिरावट आई, फिर भी उनके दाम ऊपर बने हुए हैं। दूसरी तरफ प्रोटीन युक्त उत्पादों जैसे अंडे व मांस (0.68 प्रतिशत) और दूध (3.61 प्रतिशत) ने इस माह के दौरान कुछ राहत प्रदान की।
इक्रा रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने बताया कि अभी तक दक्षिण पश्चिम मॉनसून के बढ़ने की गति असमान रही है। दक्षिणी क्षेत्र में अत्यधिक बारिश हुई है। गर्मी की मार झेल रहे उत्तर पश्चिम और पूर्व और उत्तर पूर्व भारत में बारिश कम हुई है। उन्होंने कहा कि सभी राज्यों में खरीफ की समय पर बोआई के लिए समय पर बारिश होनी आवश्यक होती है। बारिश से जलाशयों का स्तर भरने में भी मदद मिलती है और इससे खाद्य महंगाई पर लगाम कसने में मदद मिलती है।
इस सूचकांक में विनिर्मित उत्पादों का भारांश 64.2 प्रतिशत रहा है और यह मई में 14 महीने के अंतराल के बाद महंगाई के दायरे (0.78 प्रतिशत) में आ गया। विनिर्मित खाद्य उत्पादों (2.71 प्रतिशत), विनिर्मित बेवरिज (2.41 प्रतिशत), लकड़ी उत्पादों (2.97 प्रतिशत), चमड़ा (0.32 प्रतिशत) और दवा (1.19 प्रतिशत) ने महंगाई को बढ़ाने में भूमिका निभाई।
मई में ईंधन और बिजली (1.35 प्रतिशत) के थोक मूल्य की वृद्धि में थोड़ी गिरावट आई और हाई स्पीड डीजल के मूल्य (-1.06 प्रतिशत) में गिरावट आई। इस माह के दौरान रसोई गैस (2.48 प्रतिशत) और पेट्रोल (0.51 प्रतिशत) में बढ़ोतरी हुई।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने बताया कि वैश्विक तेल में महंगाई के बावजूद ईंधन महंगाई में मामूली कमी आई। हालांकि वैश्विक स्तर पर धातु के दाम बढ़ने के कारण विनिर्माण क्षेत्र की महंगाई बढ़ी।
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