यूडीआईएसई+ (UDISE+) 2024–25 रिपोर्ट, जिसे शिक्षा मंत्रालय ने जारी किया है, भारत की स्कूली शिक्षा में प्रगति की व्यापक तस्वीर प्रस्तुत करती है। इसमें शिक्षक संख्या, बुनियादी ढाँचा, नामांकन (enrolment) और छात्र-निरंतरता (retention) में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ सामने आई हैं। यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में परिकल्पित समान और समावेशी शिक्षा की दिशा में ठोस कदम है।
2018–19 में यूडीआईएसई+ की शुरुआत के बाद पहली बार देश में शिक्षकों की संख्या 1 करोड़ से अधिक हो गई।
2022–23 की तुलना में इसमें 6.7% वृद्धि दर्ज हुई।
इसके परिणामस्वरूप छात्र-शिक्षक अनुपात (PTR) बेहतर हुआ है:
आधारभूत स्तर (Foundational): 10:1
तैयारी स्तर (Preparatory): 13:1
मध्य स्तर (Middle): 17:1
माध्यमिक स्तर (Secondary): 21:1
ये सभी अनुपात एनईपी 2020 की अनुशंसित सीमा (30:1) से काफी बेहतर हैं।
2022–23 से 2024–25 के बीच छात्रों के स्कूल छोड़ने की दर में सुधार:
तैयारी स्तर: 3.7% → 2.3%
मध्य स्तर: 5.2% → 3.5%
माध्यमिक स्तर: 10.9% → 8.2%
इससे पता चलता है कि छात्र स्कूल में बने रह रहे हैं और शिक्षा की निरंतरता बढ़ी है।
सकल नामांकन अनुपात (GER):
मध्य स्तर: 90.3%
माध्यमिक स्तर: 68.5%
ट्रांज़िशन दर (Transition Rates) भी बढ़ी है, यानी छात्र आसानी से एक स्तर से अगले स्तर में पहुँच रहे हैं।
सिंगल-टीचर स्कूल: 1,10,971 → 1,04,125
जीरो-एनरोलमेंट स्कूल: 12,954 → 7,993
यह सुधार बेहतर स्कूल प्रबंधन और संसाधनों के प्रभावी वितरण को दर्शाता है।
बिजली की सुविधा: 93.6%
पेयजल: 99.3%
हाथ धोने की व्यवस्था: 95.9%
कंप्यूटर उपलब्धता: 64.7%
इंटरनेट कनेक्टिविटी: 63.5%
दिव्यांग-अनुकूल रैम्प/हैंडरेल: 54.9%
ये सुधार डिजिटल शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और समावेशिता के लिए अहम हैं।
महिला शिक्षकों का अनुपात: 54.2%
छात्राओं का नामांकन: 48.3%
यह संकेत देता है कि भारत का शिक्षा तंत्र लैंगिक संतुलन और महिला सशक्तिकरण की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
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