भारत ने बीते सप्ताह चावल के एक्सपोर्ट पर बैन लगाने का घोषणा किया था, जिसका असर अब पूरी दुनिया और खासतौर पर एशियाई बाजार में देखने को मिल रहा है। बाजार में चावल की कीमतों में तेजी से वृद्धि हो रहा है। भारत के फैसले के 4 दिनों के अंदर ही एशिया के बाजारों में चावल के दाम 4 से 5 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं।
इस प्रतिबंध से एशिया में चावल का व्यापार लगभग ठप पड़ गया है क्योंकि भारतीय व्यापारी अब नए समझौतों पर दस्तखत नहीं कर रहे हैं। नतीजतन खरीददार वियतनाम, थाईलैंड और म्यांमार जैसे विकल्प खोज रहे हैं। दुनिया के सबसे बड़े चावल निर्यातक भारत ने पिछले हफ्ते ही टूटे चावल के निर्यात पर रोक लगाने का घोषणा किया था।
निर्यात कर 20 प्रतिशत तक लगा
बता दें इसके साथ ही कई अन्य किस्मों पर निर्यात कर 20 प्रतिशत तक लगा दिया गया। औसत से कम मॉनसून बारिश के कारण स्थानीय बाजारों में चावल की बढ़ती कीमतों पर लगाम कसने हेतु यह फैसला किया गया है। इस साल कई इलाकों में बारिश कम हुई है। घरेलू बाजार में चावल की कीमतों के संकट को टालने के लिए भारत सरकार ने यह फैसला लिया है। भारत दुनिया के 150 से ज्यादा देशों को चावल का निर्यात करता है और उसकी ओर से निर्यात में आने वाली जरा सी भी कमी उन देशों में कीमतों को सीधे तौर पर प्रभावित करती है।
2007 में भी लगा था प्रतिबंध
हाल ही में भारत ने गेहूं के निर्यात पर रोग लगा दी थी और चीनी के निर्यात को भी नियंत्रित कर दिया था। अब चावल पर भी रोक से संकट और गहरा सकता है। भारत के फैसले के बाद से एशिया में चावल के दाम पांच प्रतिशत तक बढ़ गए हैं। जानकारों का कहना है कि अभी कीमतों में और ज्यादा वृद्धि होगी। 2007 में भी भारत ने चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था। तब इसके दाम एक हजार डॉलर प्रति टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए थे।
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