भारत की वित्तीय और कानूनी सुधार प्रक्रिया को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी पहचान मिली है। S&P Global Ratings ने भारत की दिवाला व्यवस्था (Insolvency Regime) की Jurisdiction Ranking को Group C से बढ़ाकर Group B कर दिया है। यह उन्नयन भारत में क्रेडिटर रिकवरी, समाधान समयसीमा, और IBC-आधारित कानूनी ढांचे में हुए सुधारों को दर्शाता है।
हालाँकि यह एक महत्वपूर्ण कदम है, S&P ने यह भी संकेत दिया है कि भारत अभी भी Group A और कुछ उन्नत Group B देशों के स्तर तक पहुँचने में समय लेगा, विशेषकर कानूनी पूर्वानुमेयता, विवादों में देरी, और सुरक्षित ऋणदाताओं की सुरक्षा के मामलों में।
Jurisdiction Ranking वैश्विक रेटिंग एजेंसियों द्वारा बनाया गया एक मूल्यांकन ढांचा है जो यह देखता है कि किसी देश की दिवाला प्रणाली:
क्रेडिटर्स के हितों की कितनी रक्षा करती है
दिवाला प्रक्रिया कितनी तेज़ और पूर्वानुमेय है
कानूनी परिणाम कितने विश्वसनीय हैं
रैंकिंग तीन समूहों में होती है:
Group A – सबसे कुशल व्यवस्था
Group B – मध्यम रूप से प्रभावी व्यवस्था
Group C – कमज़ोर/अप्रभावी व्यवस्था
इस रैंकिंग का सीधा प्रभाव कंपनियों के डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स की क्रेडिट रेटिंग पर पड़ता है, विशेषकर उन कंपनियों पर जिनकी रेटिंग पहले से ही जोखिम श्रेणी (Speculative Grade) में है।
S&P ने कई सुधारों और प्रदर्शन संकेतकों को भारत की स्थिति बेहतर होने का आधार बताया:
पहले औसत रिकवरी 15–20% थी
अब यह बढ़कर 30% से अधिक हो गई है
पहले दिवाला प्रक्रिया 6–8 साल लेती थी
अब औसत अवधि लगभग 2 वर्ष रह गई है
सुरक्षित ऋणदाता अक्सर असुरक्षित की तुलना में काफी बेहतर रिकवरी प्राप्त कर रहे हैं।
जैसे भूषण पावर एंड स्टील केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने क्रेडिटर्स के अधिकारों को और मजबूती दी।
कंपनियों के प्रमोटर्स को नियंत्रण खोने का वास्तविक जोखिम हुआ, जिससे कर्ज चुकाने की गंभीरता बढ़ी।
S&P ने कई क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता बताई:
भारत की औसत रिकवरी अभी भी कई विकसित देशों से कम है
कानूनी प्रक्रियाएँ अब भी अनिश्चित, कई चरणों में लंबी
सुरक्षित और असुरक्षित दोनों प्रकार के क्रेडिटर्स का एक ही वर्ग में मतदान, जिससे सुरक्षित क्रेडिटर्स का प्रभाव कम हो सकता है
अदालत-पर्यवेक्षित वितरण और लिक्विडेशन वैल्यू के नियमों में अधिक स्पष्टता की जरूरत
इन चुनौतियों के कारण प्रक्रिया को और सरल, तेज़ और स्पष्ट बनाने की आवश्यकता है।
Group B में अपग्रेड का मतलब है कि S&P अब भारतीय कंपनियों की speculative-grade debt पर Recovery Ratings जोड़ सकेगा।
इससे निम्न प्रभाव होंगे:
अगर रिकवरी 30% से कम है, तो इश्यू रेटिंग दो स्तर तक नीचे जा सकती है
अगर रिकवरी 90% से अधिक है (खासकर सुरक्षित ऋण पर), तो रेटिंग एक स्तर ऊपर जा सकती है
निवेशकों को स्पष्ट और पारदर्शी जोखिम आकलन मिलेगा
इससे भारत का ऋण बाजार अधिक परिपक्व और निवेशकों के लिए आकर्षक बनेगा।
S&P का यह उन्नयन वैश्विक बाजारों को संदेश देता है कि भारत अपनी दिवाला और वित्तीय सुधार प्रक्रिया में लगातार आगे बढ़ रहा है। इससे:
भारतीय कंपनियों की उधारी लागत कम हो सकती है
विदेशी निवेशकों का भरोसा मजबूत होगा
संकटग्रस्त परिसंपत्तियों (Distressed Assets) में निवेश बढ़ेगा
भारत के $5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था लक्ष्य को समर्थन मिलेगा
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