भारत के हाइड्रोजन ट्रेन इंजन ने शक्ति का मानक स्थापित किया

भारत के रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में 18वें प्रवासी भारतीय दिवस के दौरान हरित ऊर्जा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक उल्लेखनीय उपलब्धि साझा की। भारतीय रेलवे ने विश्व का सबसे शक्तिशाली हाइड्रोजन ईंधन चालित ट्रेन इंजन विकसित किया है, जो वैश्विक रेलवे नवाचार में एक नया मानदंड स्थापित करता है। स्वदेशी तकनीक से निर्मित यह इंजन भारत की हरित ऊर्जा और सतत विकास में बढ़ती क्षमताओं को दर्शाता है।

मुख्य बिंदु

विश्व का सबसे शक्तिशाली हाइड्रोजन ट्रेन इंजन

  • अश्विनी वैष्णव ने बताया कि भारतीय रेलवे द्वारा विकसित हाइड्रोजन ईंधन चालित ट्रेन इंजन का हॉर्सपावर उत्पादन विश्व में सबसे अधिक है।
  • यह इंजन 1,200 हॉर्सपावर उत्पन्न करता है, जो अन्य देशों द्वारा विकसित 500-600 हॉर्सपावर इंजनों से कहीं अधिक है।

हाइड्रोजन चालित ट्रेन का परीक्षण

  • हाइड्रोजन चालित ट्रेन का पहला परीक्षण हरियाणा में जिंद-सोनीपत मार्ग पर शीघ्र ही होने की उम्मीद है।
  • इंजन का निर्माण पूरा हो चुका है, और सिस्टम इंटीग्रेशन प्रक्रिया चल रही है।

स्वदेशी तकनीक और आत्मनिर्भरता

  • यह इंजन भारतीय विशेषज्ञता का उपयोग करके विकसित किया गया है, जो तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
  • हरित ऊर्जा का उपयोग कर सतत परिवहन समाधान विकसित करने में भारत एक अग्रणी देश के रूप में उभरा है।

व्यापक अनुप्रयोगों की संभावना

  • वैष्णव ने बताया कि हाइड्रोजन चालित तकनीक को ट्रक और टगबोट जैसे अन्य परिवहन क्षेत्रों में भी अपनाया जा सकता है।
  • इस तकनीक के विकास से विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार के अवसर मिलते हैं।

भविष्य की दृष्टि

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कार्यक्रम में पहले ही यह अभिलाषा व्यक्त की थी कि एक दिन भारत पूरी तरह स्वदेशी ट्रेनें बनाएगा, जिससे भारतीय यात्री पूरी तरह से भारत में बनी ट्रेनों में यात्रा कर सकें।
समाचार में क्यों? भारत का हाइड्रोजन ट्रेन इंजन शक्ति का नया मानदंड स्थापित करता है।
ट्रेन इंजन की शक्ति भारत द्वारा विकसित हाइड्रोजन ईंधन चालित इंजन 1,200 हॉर्सपावर उत्पन्न करता है, जो विश्व में सबसे अधिक है।
परीक्षण स्थल पहला परीक्षण हरियाणा के जिंद-सोनीपत मार्ग पर होगा।
तकनीक इंजन को स्वदेशी तकनीक का उपयोग करके विकसित किया गया है, जो भारत की तकनीकी नवाचार क्षमता को दर्शाता है।
वैश्विक तुलना केवल चार देशों के पास हाइड्रोजन चालित ट्रेनें हैं, जिनके इंजनों की शक्ति 500-600 हॉर्सपावर है, जो भारत के 1,200 हॉर्सपावर से बहुत कम है।
भविष्य के अनुप्रयोग हाइड्रोजन चालित इंजन तकनीक को ट्रक, टगबोट और अन्य परिवहन क्षेत्रों में भी अपनाया जा सकता है।
तकनीकी आत्मनिर्भरता भारत की उपलब्धियां आशाजनक हैं, लेकिन देश को पूर्ण तकनीकी आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना है।
प्रधानमंत्री की दृष्टि पीएम मोदी ने पूरी तरह से भारत में बनी ट्रेनों का निर्माण करने का विजन व्यक्त किया, जो रेलवे निर्माण में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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vikash

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