मानव विकास सूचकांक (HDI) में भारत 193 देशों की सूची में 134वें नंबर पर है। साल 2022 की रैंकिंग में भारत की स्थिति पहले से बेहतर हुई है। 2021 के सूचकांक की तुलना में एक पायदान ऊपर पहुंचा भारत कई मायने में बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र की तरफ से जारी इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत लैंगिक असमानता सूचकांक (जीआईआई) 2022 में 108वें स्थान पर रहा।
GII-2021 में 0.490 स्कोर के साथ 191 देशों में इसकी रैंक 122 थी। इससे पता लगता है कि देश में लैंगिक असमानता को दूर करने की दिशा में बीते कुछ महीनों में उल्लेखनीय प्रयास किए गए हैं। यह सूचकांक इसलिए भी अहम है क्योंकि लगातार दो साल फिसलने के बाद भारत की रैंकिंग में सुधार दर्ज किया गया है। 2021 और 2022 में भारत एक-एक पायदान नीचे खिसक गया था।
संयुक्त राष्ट्र के इस सूचकांक के बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कहा कि जीआईआई-2021 की तुलना में जीआईआई-2022 में 14 रैंक की छलांग महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्शाता है। हालांकि, अलग-अलग पैमानों पर हुए अध्ययन में श्रमिकों से जुड़ा चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। 2022 के सूचकांक के मुताबिक देश की श्रम बल भागीदारी दर में सबसे बड़ा लैंगिक अंतर भी सामने आया है। महिलाओं (28.3 प्रतिशत) और पुरुषों (76.1 प्रतिशत) के बीच 47.8 प्रतिशत का बड़ा अंतर देखा गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक अमीर देशों में रिकॉर्ड मानव विकास देखा गया, जबकि आधे गरीब देशों की प्रगति ‘संकट-पूर्व स्तर’ से नीचे बनी हुई है। साल 2022 की रैंकिंग में, भारत के सभी एचडीआई संकेतकों में सुधार देखा गया है। जीवन प्रत्याशा, शिक्षा और प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (जीएनआई) पहले से बेहतर स्थिति में हैं। जीवन प्रत्याशा 67.2 से बढ़कर 67.7 वर्ष हो गई, स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष 12.6 तक पहुंच गए, जबकि स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष बढ़कर 6.57 हो गए।
| Rank | Country | HDI Value | Change from 2021 |
|---|---|---|---|
| 75 | China | 0.788 | +0.003 |
| 78 | Iran | 0.780 | +0.004 |
| 78 | Sri Lanka | 0.780 | -0.003 |
| 87 | Maldives | 0.762 | +0.009 |
| 125 | Bhutan | 0.681 | +0.004 |
| 129 | Bangladesh | 0.670 | +0.008 |
| 134 | India | 0.644 | +0.011 |
| 146 | Nepal | 0.601 | +0.010 |
| 164 | Pakistan | 0.540 | +0.003 |
| 182 | Afghanistan | 0.462 | -0.011 |
ये रैंकिंग विभिन्न देशों में मानव विकास की अलग-अलग डिग्री को उजागर करती है और वैश्विक स्तर पर असमानताओं को दूर करने और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए ठोस प्रयासों की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
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