भारत की हरित इस्पात क्रांति: क्या है 25% खरीद नियम?

भारत सरकार एक हरित इस्पात खरीद नीति (Green Steel Procurement Policy) को अंतिम रूप दे रही है, जिसके तहत सार्वजनिक क्षेत्र में इस्पात की कुल खरीद का 25% हिस्सा कम उत्सर्जन और पर्यावरण-अनुकूल तरीकों से उत्पादित इस्पात से लेना अनिवार्य हो सकता है। इस पहल का उद्देश्य हरित इस्पात की मांग को प्रोत्साहित करना है, जिससे भारत जलवायु-सम्मत औद्योगिक नीतियों में वैश्विक अग्रणी बन सके।

पृष्ठभूमि
हरित इस्पात (Green Steel) से तात्पर्य उस इस्पात से है जिसे हाइड्रोजन-आधारित डायरेक्ट रिड्यूस्ड आयरन (DRI) या नवीकरणीय ऊर्जा से संचालित इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस जैसे निम्न-कार्बन तकनीकों के माध्यम से बनाया जाता है, न कि पारंपरिक कोयला-आधारित ब्लास्ट फर्नेस से। चूंकि इस्पात उद्योग दुनिया के सबसे अधिक कार्बन उत्सर्जक क्षेत्रों में से एक है, इसलिए इसके उत्पादन को स्वच्छ बनाना भारत के जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अत्यंत आवश्यक है।

महत्त्व
भारत में कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का लगभग 10–12% इस्पात क्षेत्र से आता है, इसलिए इसका डीकार्बोनाइजेशन (कार्बन उत्सर्जन में कमी) बहुत जरूरी है। इस्पात बुनियादी ढांचे, ऑटोमोबाइल और विनिर्माण का आधार है, और इसे हरित बनाना यह सुनिश्चित करता है कि औद्योगिक विकास पर्यावरणीय स्थिरता की कीमत पर न हो। 2018 से दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक होने के नाते, भारत यदि हरित इस्पात में नेतृत्व करता है तो यह उसके वैश्विक जलवायु दायित्व और व्यापार प्रतिस्पर्धा को मज़बूत करेगा।

उद्देश्य
इस नीति का प्रमुख उद्देश्य हरित इस्पात की बाजार मांग बनाना है, जो वर्तमान में सस्ते और उच्च उत्सर्जन वाले विकल्पों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करता है। सार्वजनिक क्षेत्र में 25% अनिवार्य खरीद लागू करके सरकार उद्योग को एक प्रारंभिक समर्थन देना चाहती है, जिससे निजी कंपनियां भी निम्न-कार्बन तकनीकों में निवेश और नवाचार के लिए प्रेरित हों।

प्रमुख विशेषताएँ

  • सार्वजनिक क्षेत्र की इस्पात खरीद का 25% हरित इस्पात से करने की अनिवार्यता।

  • इस्पात मंत्रालय द्वारा एक समर्पित रोडमैप के माध्यम से नीति का कार्यान्वयन।

  • हाइड्रोजन-आधारित DRI, इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस और नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग।

  • स्टील स्क्रैप को कच्चे माल के रूप में अपनाना, जिससे उत्सर्जन में लगभग 58% तक की कमी संभव।

  • सहायक योजनाएं जैसे:

    • स्टील स्क्रैप रीसाइक्लिंग नीति (2019)

    • PAT योजना (Perform, Achieve, Trade)

    • राष्ट्रीय सौर मिशन (2010) – नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने हेतु।

चुनौतियाँ
हरित इस्पात का उत्पादन अभी भी पारंपरिक विधियों की तुलना में महंगा है। हाइड्रोजन-आधारित DRI और कार्बन कैप्चर जैसी तकनीकें अभी विकास के चरण में हैं और वाणिज्यिक स्तर पर सीमित हैं। हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए बड़ी मात्रा में नवीकरणीय ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जिसकी उपलब्धता अभी सीमित है। साथ ही, अनिवार्य मानकों और पर्याप्त मांग-आधारित प्रोत्साहनों की कमी के कारण निजी कंपनियां बड़े पैमाने पर निवेश करने से हिचकिचा रही हैं।

भारत में उठाए गए कदम
इस्पात मंत्रालय ने “भारत में इस्पात क्षेत्र का हरितरण: रोडमैप और कार्य योजना” नामक एक रिपोर्ट जारी की है, जो 14 कार्यबलों की सिफारिशों पर आधारित है। स्टील स्क्रैप रीसाइक्लिंग नीति (2019) और वाहन परित्याग नियम (2021) स्क्रैप की उपलब्धता बढ़ाने के उद्देश्य से लागू किए गए हैं। राष्ट्रीय सौर मिशन (2010) और PAT योजना उद्योगों को ऊर्जा खपत घटाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं, जिससे इस्पात क्षेत्र को निम्न-कार्बन विकास की ओर ले जाया जा रहा है।

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vikash

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