भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 4 अप्रैल, 2024 को आईआईटी बॉम्बे में कैंसर के लिए भारत की पहली घरेलू जीन थेरेपी का शुभारंभ किया। ‘सीएआर-टी सेल थेरेपी’ नामक यह अभूतपूर्व उपचार, कैंसर के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी सफलता है। कैंसर वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ती गंभीर बीमारी है, जिसका जोखिम साल-दर साल बढ़ता देखा जा रहा है।
कैंसर का मृत्युदर भी अधिक है जिसको लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को अलर्ट करते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, कैंसर का मृत्यु अधिक होने का एक प्रमुख कारण समय पर इसका निदान और उपचार न हो पाना माना जाता है। देश में ज्यादातर लोगों में कैंसर का निदान आखिरी चरणों में हो पाता है, जहां से इलाज करना और रोगी की जान बचाना काफी कठिन हो जाता है।
आईआईटी बॉम्बे और टाटा मेमोरियल सेंटर द्वारा विकसित यह जीन-आधारित थेरेपी विभिन्न प्रकार के कैंसर को ठीक करने में मदद करेगी। द लैंसेट रीजनल हेल्थ साउथईस्ट एशिया जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, भारत में साल 2019 में लगभग 12 लाख नए कैंसर के मामले और 9.3 लाख मौतें दर्ज की गई थीं। भारत, एशिया में इस बीमारी के बोझ वाल दूसरा सबसे बड़ा देश है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई है कि सीएआर टी-सेल थेरेपी से कैंसर के उपचार में मदद मिल सकती है।
NexCAR19 CAR T-सेल थेरेपी भारत की पहली ‘मेड इन इंडिया’ CAR T-सेल थेरेपी है, जिससे इलाज की लागत में काफी कमी आने की उम्मीद जताई गई है। पिछले कुछ वर्षों में तकनीक विकास और एआई के चलते कैंसर के इलाज में बड़ी सफलता मिली है, हालांकि आम लोगों तक इसकी पहुंच अधिक लागत के कारण मुश्किल रही है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इन नई थेरेपी की मदद से कैंसर का इलाज आसान हो सकेगा।
थेरेपी के उद्घाटन के दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे पास अपने-अपने क्षेत्रों में भारत के दो अग्रणी अनुसंधान संस्थान हैं, जो मानवीय उद्देश्य के लिए उद्योग के साथ हाथ मिलाकर काम रहे हैं। इस स्वदेशी थेरेपी के बारे में नई बात यह है कि इसकी लागत अन्य जगहों पर उपलब्ध थेरेपी की तुलना में 90 प्रतिशत कम है। यह दुनिया की सबसे सस्ती सीएआर-टी सेल थेरेपी है। इसके अलावा, यह ‘मेक इन इंडिया’ पहल का भी एक उदाहरण है जो आत्मनिर्भर भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हमें उम्मीद है कि इस थेरेपी की मदद से आने वाले समय में कैंसर से मुकाबले के लिए देश को मजबूती मिलेगी।
सीएआर-टी सेल थेरेपी या काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर टी-सेल थेरेपी इम्यूनोथेरेपी और जीन थेरेपी का एक रूप है। रोगी की प्रतिरक्षा कोशिकाओं, विशेष रूप से टी कोशिकाओं को संशोधित करने और उन्हें कैंसर से लड़ने के लिए तैयार करने के लिए जटिल आनुवंशिक इंजीनियरिंग की आवश्यकता होती है। सीएआर-टी सेल थेरेपी को चिकित्सा विज्ञान में सबसे अभूतपूर्व प्रगति में से एक माना जाता है। भारत ने इस दिशा में प्रगति करते हुए स्वदेशी थेरेपी को विकसित किया है।
[wp-faq-schema title="FAQs" accordion=1]हर साल विश्व मृदा दिवस 5 दिसंबर को मनाया जाता है। मृदा को आम बोलचाल…
अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस हर साल 5 दिसंबर को मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम…
यूनाइटेड नेशंस (UN) एक बड़े इंस्टीट्यूशनल सिस्टम के ज़रिए काम करता है जिसे UN सिस्टम…
मिजोरम के पूर्व राज्यपाल और वरिष्ठ अधिवक्ता स्वराज कौशल का 4 दिसंबर 2025 को 73…
भारत विश्व की कुल जैव विविधता का लगभग 8% हिस्सा अपने भीतर समेटे हुए है।…
भारत में आधार का उपयोग लगातार तेजी से बढ़ रहा है। नवंबर 2025 में, आधार…