भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के शेयरों में 6 नवंबर को 1 प्रतिशत से अधिक की बढ़त दर्ज हुई और इसका बाजार पूंजीकरण 100 अरब डॉलर (लगभग 8,850 अरब रुपये) के पार पहुंच गया। शेयर 1.47 प्रतिशत बढ़कर 971.15 रुपये के नए उच्च स्तर पर पहुंच गया। इस उपलब्धि से SBI 100 अरब डॉलर के क्लब में शामिल होने वाली छठी भारतीय कंपनी बन गई है। इस सूची में रिलायंस, HDFC बैंक, एयरटेल, TCS और ICICI बैंक पहले से शामिल हैं।
यह उपलब्धि SBI को भारत का पहला ऐसा बैंक बनाती है जिसने इस स्तर को छुआ है, और यह भारत की उभरती हुई वित्तीय शक्ति तथा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकिंग तंत्र की मजबूती का प्रतीक है। यह मील का पत्थर बैंक के वित्त वर्ष 2025–26 की दूसरी तिमाही (Q2 FY26) में मजबूत प्रदर्शन के साथ आया है, जिससे SBI ने वैश्विक बैंकिंग जगत में अपनी जगह और भी मज़बूत कर ली है।
मार्केट कैप के साथ-साथ SBI का कुल व्यवसाय (Advances + Deposits) भी ₹100 ट्रिलियन (₹100 लाख करोड़) के आँकड़े को पार कर गया —
यह भारतीय बैंकिंग इतिहास की पहली ऐसी उपलब्धि है।
कुल ऋण (Total Advances): लगभग ₹44.2 लाख करोड़
कुल जमा (Total Deposits): लगभग ₹55.9 लाख करोड़
यह पैमाना SBI की अभूतपूर्व पहुँच, विश्वसनीयता और भारतीय वित्तीय प्रणाली की रीढ़ के रूप में इसकी भूमिका को दर्शाता है।
बैंक ने 12.7% वार्षिक ऋण वृद्धि (YoY Growth) दर्ज की।
खुदरा, कृषि, और SME ऋणों में वृद्धि से बैंक का कर्ज वितरण बढ़ा।
त्योहार सीज़न की मांग और डिजिटल लेंडिंग पहलों ने वृद्धि को गति दी।
Q2 FY26 में शुद्ध लाभ (Net Profit) में लगभग 10% की वृद्धि।
संपत्ति गुणवत्ता (Asset Quality) में सुधार — गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ (Gross NPAs) में कमी।
लागत नियंत्रण और डिजिटल बैंकिंग ने लाभप्रदता बनाए रखने में मदद की।
बेहतर रिटर्न ऑन इक्विटी, स्थिर वित्तीय दृष्टिकोण, और मार्जिन सुधार के कारण निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी।
परिणामस्वरूप, SBI के शेयर मूल्य और बाज़ार मूल्यांकन में निरंतर वृद्धि दर्ज हुई।
| विवरण | जानकारी |
|---|---|
| स्थापना वर्ष | 1 जुलाई 1955 (Imperial Bank of India से गठित) |
| मुख्यालय | मुंबई, महाराष्ट्र |
| वर्तमान अध्यक्ष | चल्ला श्रीनिवासुलु सेट्टी |
| कुल शाखाएँ | भारत में 22,000 से अधिक |
| स्थिति | भारत का डोमेस्टिक सिस्टेमिकली इम्पॉर्टेंट बैंक (D-SIB) |
SBI की यह दोहरी उपलब्धि — $100 अरब का मार्केट कैप और ₹100 ट्रिलियन का कुल व्यवसाय — न केवल भारतीय बैंकिंग इतिहास का स्वर्ण अध्याय है, बल्कि यह भारत की आर्थिक स्थिरता, डिजिटल नवाचार, और वित्तीय आत्मनिर्भरता का भी प्रतीक है।
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