भारतीय समाचार पत्र दिवस (Indian Newspaper Day) प्रतिवर्ष 29 जनवरी को मनाया जाता है। इसे राष्ट्रीय समाचार पत्र दिवस (National Newspaper Day) के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन पूर्व-स्वतंत्रता युग में पहले समाचार पत्र के प्रकाशन की स्मृति में मनाया जाता है और पत्रकारिता की लोकतांत्रिक भूमिका को रेखांकित करता है। इसका उद्देश्य नागरिकों को समाचार पत्र पढ़ने की आदत को प्रोत्साहित करना और उन्हें सामाजिक-राजनीतिक मामलों से अवगत कराना है।
भारतीय समाचार पत्र दिवस की उत्पत्ति 29 जनवरी 1780 को हुई, जब जेम्स ऑगस्टस हिक्की (James Augustus Hicky) ने भारत का पहला मुद्रित समाचार पत्र “हिक्की’ज़ बंगाल गजट” (Hicky’s Bengal Gazette) प्रकाशित किया। इसे “कलकत्ता जनरल एडवरटाइजर” (Calcutta General Advertiser) के नाम से भी जाना जाता था। ब्रिटिश शासन के दौरान कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) से शुरू हुए इस साप्ताहिक अख़बार ने भारत में पत्रकारिता के नए युग की शुरुआत की।
हालाँकि, यह अख़बार अपने निडर और ब्रिटिश प्रशासन की आलोचनात्मक रिपोर्टिंग के लिए प्रसिद्ध हुआ। विशेष रूप से, गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स के खिलाफ इसके आलोचनात्मक दृष्टिकोण ने ब्रिटिश सरकार को नाराज़ कर दिया। इसके परिणामस्वरूप 1782 में इस समाचार पत्र को बंद कर दिया गया। बावजूद इसके, यह अख़बार भारतीय पत्रकारिता की नींव रखने में अपनी ऐतिहासिक भूमिका निभा चुका था।
यह दिन भारतीय पत्रकारिता की समृद्ध विरासत को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। समाचार पत्रों ने स्वतंत्रता संग्राम से लेकर लोकतंत्र की स्थापना तक जनता की आवाज़ बुलंद करने और सत्ता को जवाबदेह बनाने में अहम भूमिका निभाई है।
ब्रिटिश शासन के दौरान, समाचार पत्रों ने आम जनता और प्रशासन के बीच संवाद स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हिक्की’ज़ बंगाल गजट और अन्य समाचार पत्रों ने गरीबों और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के अधिकारों की वकालत की, जिससे वे सामाजिक परिवर्तन का एक सशक्त माध्यम बने।
आज के डिजिटल युग में, जहां जानकारी छोटी-छोटी खबरों और सोशल मीडिया के माध्यम से मिलती है, भारतीय समाचार पत्र दिवस गहन और तथ्यात्मक पढ़ाई को प्रोत्साहित करता है। समाचार पत्र नागरिकों को सही निर्णय लेने, लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने और समाज को सूचित रखने में मदद करते हैं।
हिक्की’ज़ बंगाल गजट के बंद होने के बाद, भारत में कई अन्य समाचार पत्र प्रकाशित हुए, जिनमें प्रमुख थे:
हालाँकि, इन समाचार पत्रों को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेंसरशिप नीतियों का सामना करना पड़ा।
ब्रिटिश सरकार ने भारतीय भाषाओं में छपने वाले समाचार पत्रों पर प्रतिबंध लगाने के लिए ‘वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट’ (1878) लागू किया। तत्कालीन वायसराय लॉर्ड लिटन द्वारा पारित इस अधिनियम ने भारतीय अख़बारों की स्वतंत्रता को बाधित किया और ब्रिटिश शासन की आलोचना करने वाले प्रकाशनों को दबाने का प्रयास किया।
स्वतंत्रता के बाद, 1947 में भारतीय सरकार ने प्रेस कानूनों की समीक्षा के लिए प्रेस जांच समिति का गठन किया। इसका उद्देश्य भारतीय संविधान में निहित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अनुरूप प्रेस कानूनों में सुधार करना था।
1954 में, जस्टिस राजाध्याक्ष प्रेस आयोग का गठन किया गया। इसका उद्देश्य भारत में समाचार पत्रों के प्रसार का अध्ययन करना और पत्रकारिता के मानकों को सुधारने के लिए सिफारिशें देना था। इस आयोग की सिफारिशों के आधार पर “ऑल इंडिया प्रेस काउंसिल” की स्थापना की गई।
भारतीय प्रेस परिषद (PCI) 1966 में भारतीय प्रेस परिषद अधिनियम, 1965 के तहत एक स्वायत्त निकाय के रूप में स्थापित की गई। इसका मुख्य उद्देश्य पत्रकारिता की स्वतंत्रता को बनाए रखना और समाचार पत्रों के मानकों की रक्षा करना था।
1975 के आपातकाल के दौरान भारतीय प्रेस परिषद को भंग कर दिया गया था और 1965 का अधिनियम निरस्त कर दिया गया। लेकिन 1979 में “प्रेस काउंसिल एक्ट, 1978” के तहत इसे फिर से स्थापित किया गया।समाचार पत्रों की वर्तमान प्रासंगिकता
डिजिटल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के बावजूद, समाचार पत्र आज भी विश्वसनीय पत्रकारिता के केंद्र बने हुए हैं। भारतीय समाचार पत्र दिवस तथ्यात्मक रिपोर्टिंग और निष्पक्ष समाचारों के महत्व को दर्शाता है।
यह दिवस लोगों को समाचार पत्र पढ़ने की आदत को पुनर्जीवित करने के लिए प्रेरित करता है। समाचार पत्रों की गहरी विश्लेषणात्मक दृष्टि और संतुलित दृष्टिकोण उन्हें भारत के मीडिया परिदृश्य में एक विशेष स्थान प्रदान करते हैं।
भारतीय समाचार पत्र दिवस न केवल पत्रकारिता के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है, बल्कि सूचित नागरिकता, लोकतांत्रिक आदर्शों और निष्पक्ष पत्रकारिता को बढ़ावा देने का भी संदेश देता है। समाचार पत्रों का सतत विकास और उनकी निष्पक्ष रिपोर्टिंग की परंपरा भारत के लोकतंत्र की मजबूती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
[wp-faq-schema title="FAQs" accordion=1]भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने शून्य-कूपन बॉन्ड (Zero-Coupon Bonds) को अब ₹10,000 के…
भारत अपनी पहली ‘वन विश्वविद्यालय (Forest University)’ की स्थापना की तैयारी कर रहा है, जो…
झारखंड ने 2025–26 सत्र में सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी (SMAT) जीतकर इतिहास रच दिया। ईशान…
संसद ने सतत उपयोग एवं उन्नयन द्वारा भारत के परिवर्तन हेतु परमाणु ऊर्जा (SHANTI) विधेयक,…
बेंगलुरु के पास स्थित बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान (Bannerghatta Biological Park) ने संरक्षण-उन्मुख चिड़ियाघर प्रबंधन को…
ओडिशा सरकार 19–20 दिसंबर को रीजनल AI इम्पैक्ट कॉन्फ्रेंस की मेजबानी करेगी। यह आयोजन शासन…