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भारतीय नौसेना दिवस 2024: भारत के समुद्री संरक्षकों का सम्मान

भारतीय नौसेना दिवस, जो हर साल 4 दिसंबर को मनाया जाता है, देश की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा में भारतीय नौसेना की वीरता, उपलब्धियों और अटूट समर्पण का जश्न मनाता है। यह 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान ऑपरेशन ट्राइडेंट की सफलता का भी स्मरण करता है, जो भारत के सैन्य इतिहास का एक महत्वपूर्ण क्षण था।

भारतीय नौसेना दिवस का महत्व

भारतीय नौसेना दिवस केवल एक औपचारिक समारोह नहीं है; यह भारतीय नौसेना के उन बहादुर कर्मियों को श्रद्धांजलि है जो देश की समुद्री संप्रभुता की अथक रक्षा करते हैं। यह दिन उनके बलिदानों को स्वीकार करता है और हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में सुरक्षा बनाए रखने में उनके अद्वितीय कौशल का जश्न मनाता है।

भारत की तटरेखा 7,500 किलोमीटर से अधिक फैली हुई है, और इसका विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) 2 मिलियन वर्ग किलोमीटर से अधिक में फैला हुआ है। भारतीय नौसेना इन विशाल समुद्री संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है, जिससे भारत की स्थिति एक प्रमुख क्षेत्रीय शक्ति के रूप में मजबूत होती है।

भारतीय नौसेना दिवस के पीछे का इतिहास

नौसेना दिवस की शुरुआत 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान एक साहसी नौसैनिक हमले, ऑपरेशन ट्राइडेंट से हुई। 4-5 दिसंबर, 1971 की रात को, कमोडोर कासरगोड पट्टानाशेट्टी गोपाल राव के नेतृत्व में, भारतीय नौसेना ने कराची में पाकिस्तान के नौसेना मुख्यालय पर मिसाइल हमला किया, जिससे उनकी समुद्री क्षमताएँ कमज़ोर हो गईं।

ऑपरेशन ट्राइडेंट की मुख्य विशेषताएँ:

  • मिसाइल बोट का उपयोग: INS वीर, INS निपात और INS निर्घाट।
  • PNS खैबर सहित तीन पाकिस्तानी जहाजों का डूबना।
  • न्यूनतम भारतीय हताहत।
  • पाकिस्तान के नौसैनिक बुनियादी ढांचे को काफी नुकसान।
  • इस ऑपरेशन ने भारतीय नौसेना द्वारा युद्ध में मिसाइल बोट का पहला उपयोग किया और यह रणनीतिक उत्कृष्टता और बहादुरी का प्रतीक बना हुआ है।

भारतीय नौसेना दिवस 2024 थीम: आत्मनिर्भरता के माध्यम से शक्ति

भारतीय नौसेना दिवस 2024 की थीम, “नवाचार और स्वदेशीकरण के माध्यम से शक्ति और क्षमता”, रक्षा प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए नौसेना की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। स्वदेशीकरण और नवाचार पर यह ध्यान भारत के आत्मनिर्भर भारत (स्व-निर्भर भारत) के व्यापक दृष्टिकोण के अनुरूप है और बढ़ी हुई समुद्री सुरक्षा और परिचालन दक्षता सुनिश्चित करता है।

भारतीय नौसेना की भूमिकाएँ

भारतीय नौसेना कई प्रकार के मिशनों का संचालन करती है, जिसमें सैन्य अभियानों से लेकर मानवीय सहायता तक शामिल हैं। इसकी जिम्मेदारियाँ चार प्रमुख भूमिकाओं में विभाजित हैं:

1. सैन्य भूमिका (Military Role)

भारतीय नौसेना समुद्र में आक्रामक और रक्षात्मक कार्यों का संचालन करती है:

  • क्षेत्र, बलों और व्यापार की सुरक्षा।
  • उच्च-तीव्रता वाले युद्ध का संचालन।
  • रणनीतिक सैन्य लक्ष्यों को प्राप्त करना।

2. कूटनीतिक भूमिका (Diplomatic Role)

नौसेना कूटनीति के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करती है:

  • मित्र देशों के साथ दोस्ती के पुल बनाना।
  • संभावित विरोधियों को रोकने के लिए शक्ति का प्रदर्शन।
  • संयुक्त अभ्यास और सहयोग के माध्यम से भारत की विदेश नीति का समर्थन करना।

3. सिपाही भूमिका (Constabulary Role)

यह भूमिका समुद्री सुरक्षा और निगरानी पर केंद्रित है:

  • निम्न-तीव्रता वाले समुद्री खतरों का मुकाबला।
  • अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर तटीय सुरक्षा सुनिश्चित करना।
  • समुद्र में कानून और व्यवस्था बनाए रखना।

4. मानवीय भूमिका (Benign Role)

इस भूमिका में अहिंसात्मक कार्य शामिल हैं:

  • प्राकृतिक आपदाओं के दौरान मानवीय सहायता।
  • खोज और बचाव (SAR) अभियान।
  • हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण और अन्य नागरिक समुद्री आवश्यकताओं का समर्थन।

तकनीकी प्रगति और स्वदेशीकरण

भारतीय नौसेना आधुनिक तकनीकों को अपनाकर अपनी संचालन क्षमता को मजबूत कर रही है।

स्वावलंबन 2.0 (Swavlamban 2.0)

यह रोडमैप उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकियों के विकास के प्रति नौसेना की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

प्रमुख उपलब्धियाँ:

  • SPRINT पहल: रक्षा नवाचारों के लिए अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देती है।
  • नौसेना नवाचार और स्वदेशीकरण संगठन (NIIO): निजी उद्योगों के साथ सहयोग को प्रोत्साहित करता है।
  • प्रौद्योगिकी विकास त्वरण प्रकोष्ठ: नौसैनिक अनुप्रयोगों के लिए तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देता है।

आजादी का अमृत महोत्सव (2022): नौसेना ने 75 नई प्रौद्योगिकियाँ विकसित करने का संकल्प लिया, जो भविष्य के लिए एक मानक स्थापित करती हैं।

भारतीय नौसेना की आधुनिक क्षमताएँ

भारतीय नौसेना के पास लगभग 150 पोत और 17 विध्वंसक (Destroyers) हैं। इन उन्नत उपकरणों और प्रशिक्षित कर्मियों के साथ, नौसेना बंगाल की खाड़ी, अरब सागर, और अन्य क्षेत्रों में अपनी जिम्मेदारियाँ कुशलतापूर्वक निभाती है।

पहलू विवरण
क्यों चर्चा में? भारतीय नौसेना दिवस, 4 दिसंबर को मनाया जाता है, जो 1971 के भारत-पाक युद्ध में नौसेना की बहादुरी, खासकर ऑपरेशन ट्राइडेंट की सफलता का सम्मान करता है। 2024 का विषय है “नवाचार और स्वदेशीकरण के माध्यम से शक्ति और क्षमता”, जो आत्मनिर्भरता और तकनीकी प्रगति पर जोर देता है।
ऐतिहासिक महत्व ऑपरेशन ट्राइडेंट में भारतीय मिसाइल नौकाओं (INS वीर, INS निपत, और INS निर्घट) ने कराची में पाकिस्तान के नौसैनिक मुख्यालय पर हमला किया, तीन जहाजों को डुबोया और भारी नुकसान पहुंचाया।
नौसेना की प्रमुख भूमिकाएँ 1. सैन्य भूमिका: समुद्री सीमाओं की रक्षा और उच्च-तीव्रता वाले संचालन।
2. कूटनीतिक भूमिका: अंतरराष्ट्रीय संबंध मजबूत करना और विरोधियों को रोकना।
3. सिपाही भूमिका: समुद्री सुरक्षा और तटीय पुलिसिंग।
4. मानवीय भूमिका: आपदा राहत, खोज और बचाव (SAR), और मानवीय सहायता।
2024 का विषय “नवाचार और स्वदेशीकरण के माध्यम से शक्ति और क्षमता”: आत्मनिर्भरता और उन्नत तकनीकों के माध्यम से समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने पर केंद्रित।
तकनीकी नवाचार – उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकी विकास के लिए स्वावलंबन 2.0 की शुरुआत।
– प्रमुख पहल: SPRINT, नौसेना नवाचार और स्वदेशीकरण संगठन (NIIO), और प्रौद्योगिकी विकास त्वरण प्रकोष्ठ
आजादी का अमृत महोत्सव के तहत 75 नई तकनीकों का विकास।
भारत की नौसैनिक शक्ति लगभग 150 पोत (जिसमें 17 विध्वंसक शामिल हैं) 7,500 किमी की तटरेखा और 20 लाख वर्ग किमी से अधिक के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) की रक्षा करते हैं।
प्रमुख योगदान – बंगाल की खाड़ी और अरब सागर की सुरक्षा।
– कूटनीतिक सहयोग को बढ़ावा देना और आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करना।
– मानवीय अभियानों का संचालन और समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देना।
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