विश्व बैंक और भारत सरकार के आवास और शहरी कार्य मंत्रालय की ओर से तैयार एक ताजा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत के शहरी क्षेत्रों में 2030 तक 70% नई नौकरियां पैदा होंगी, लेकिन अगर समय रहते जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन (climate change adaptation) पर निवेश नहीं हुआ, तो हर साल बाढ़ से 5 अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, 2050 तक भारत की शहरी आबादी 951 मिलियन तक पहुंच जाएगी। बढ़ती आबादी और शहरीकरण के कारण देश के शहर दो बड़े झटकों – बाढ़ और अत्यधिक गर्मी – का सामना करेंगे, जो रोजगार और आर्थिक विकास को प्रभावित कर सकते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, 2070 तक अगर अनुकूलन उपाय नहीं किए गए तो हर साल बाढ़ से 30 अरब डॉलर तक का नुकसान हो सकता है। 1983-1990 से 2010-2016 के बीच, भारत के 10 बड़े शहरों में खतरनाक गर्मी की स्थिति में 71% की वृद्धि दर्ज की गई है। शहरी हीट आइलैंड इफेक्ट (Urban Heat Island Effect) के कारण रात में भी गर्मी बढ़ जाती है, क्योंकि कंक्रीट की सड़कें और इमारतें गर्मी को रात में छोड़ती हैं।
इस रिपोर्ट का उद्देश्य निम्नलिखित बिंदुओं पर केंद्रित है:
भारत के प्रमुख शहरों की जलवायु संवेदनशीलता का मूल्यांकन करना
जलवायु प्रभावों के कारण होने वाली आर्थिक हानियों का आंकलन करना
आपदा-रोधी (resilient) बुनियादी ढांचे के लिए नीतिगत सिफारिशें प्रस्तुत करना
शहरी जलवायु आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वित्तीय खाका तैयार करना
निम्न-कार्बन विकास और जलवायु-संवेदनशील शहरी योजना को प्रोत्साहित करना
वर्ष 2050 तक की शहरी अवसंरचना का लगभग 50% हिस्सा अभी निर्मित होना बाकी है, जो जलवायु अनुकूलता (climate resilience) को शामिल करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।
शहरों को 2050 तक बुनियादी ढांचे और सेवाओं की कमी को दूर करने हेतु $2.4 ट्रिलियन से अधिक के निवेश की आवश्यकता होगी।
वर्तमान में बाढ़ से संबंधित वार्षिक आर्थिक नुकसान लगभग $4 अरब आँका गया है, जो 2030 तक बढ़कर $5 अरब तक पहुंच सकता है।
अर्बन हीट आइलैंड इफेक्ट के कारण शहरों के मध्य क्षेत्र आस-पास के इलाकों की तुलना में 3–4 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म हो रहे हैं।
अहमदाबाद: हीट एक्शन प्लान के तहत समयपूर्व चेतावनी प्रणाली और हरित आवरण (ग्रीन कवर) को बढ़ावा दिया गया है।
कोलकाता: बाढ़ पूर्वानुमान और त्वरित चेतावनी प्रणालियों को अपनाया गया है।
इंदौर: आधुनिक कचरा प्रबंधन प्रणाली लागू की गई है, साथ ही हरित नौकरियों (ग्रीन जॉब्स) को प्रोत्साहित किया गया है।
चेन्नई: जोखिम-आधारित जलवायु कार्ययोजना तैयार की गई है, जो स्थानीय खतरों को ध्यान में रखते हुए उपायों को प्राथमिकता देती है।
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