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भारतीय सेना ने पैंगोंग त्सो में छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा का अनावरण किया

भारतीय सेना ने चित्तौड़ के महान योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की एक प्रतिमा का अनावरण पैंगोंग त्सो, लद्दाख में किया। यह कदम भारत-चीन सीमा के पास रणनीतिक और सांस्कृतिक उपस्थिति को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। 26 दिसंबर, 2024 को फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स द्वारा स्थापित यह प्रतिमा महाराजा शिवाजी की वीरता और दूरदर्शिता के प्रतीक के रूप में खड़ी है।

रणनीतिक महत्व

  • ऊंचाई: यह प्रतिमा 14,300 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
  • संदेश: भारत की सीमा सुरक्षा के प्रति अटल प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
  • पैंगोंग त्सो: 2020 के सैन्य गतिरोध जैसी घटनाओं के मद्देनजर, यह क्षेत्र भारत-चीन सीमा (LAC) पर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।
  • प्रयास: सीमा पर भारत की रणनीतिक स्थिति को मजबूत करने के लिए सड़कों, पुलों और निगरानी प्रणालियों जैसे बुनियादी ढांचे के विकास को दर्शाता है।

स्थानीय चिंताएं और सांस्कृतिक प्रासंगिकता

  • स्थानीय असंतोष: चुषुल के पार्षद कोंचोक स्टैंजिन जैसे नेताओं ने समुदाय से परामर्श न करने पर सवाल उठाया।
  • चिंताएं:
    • प्रतिमा का लद्दाख की विशिष्ट सांस्कृतिक विरासत से संबंध।
    • पर्यावरण और वन्यजीवों पर प्रभाव।
  • संतुलन की आवश्यकता: यह मुद्दा राष्ट्रीय प्रतीकों और स्थानीय पहचानपारिस्थितिकी संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता को उजागर करता है।

व्यापक रणनीतिक प्रयास

  • भारत-चीन वार्ता:
    • डेमचोक और देपसांग जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं पर डिसएंगेजमेंट प्रक्रिया पूरी।
  • प्रयास जारी:
    • लद्दाख में बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर।
    • क्षेत्रीय सैन्य क्षमताओं को मजबूत करने के साथ भारत की आर्थिक और रणनीतिक शक्ति को प्रदर्शित करना।

यह कदम लद्दाख में भारत की प्रादेशिक अखंडता को सुरक्षित करने और चीन के साथ रणनीतिक समानता बनाए रखने की दिशा में एक संदेश है।

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