भारत सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक अहम कदम उठाते हुए दुर्लभ रक्त समूह वाले मरीजों की स्वास्थ्य सेवा तक बेहतर पहुँच सुनिश्चित करने के लिए रेयर डोनर रजिस्ट्री को राष्ट्रीय डिजिटल प्लेटफॉर्म ई-रक्त कोष (e-Rakt Kosh) से जोड़ने की योजना की घोषणा की है। यह पहल राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत विकसित e-Rakt Kosh के माध्यम से पूरे देश में ब्लड बैंकों, रक्त की उपलब्धता और रक्तदान शिविरों की रीयल-टाइम जानकारी प्रदान करती है। इस एकीकरण से राज्यों और ब्लड बैंकों में दुर्लभ रक्त समूह की खोज आसान होगी और आपात स्थितियों में जान बचाई जा सकेगी।
यह घोषणा भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और उसके संस्थान राष्ट्रीय इम्यूनो-हैमैटोलॉजी संस्थान (NIIH) के प्रयासों के बाद की गई है। NIIH ने 300 से अधिक दुर्लभ रक्त मार्करों के लिए जांचे गए 4,000+ दुर्लभ रक्तदाताओं का डेटाबेस तैयार किया है।
दुर्लभ रक्त समूह जैसे बॉम्बे ब्लड ग्रुप, Rh-null, और P-null के मेल मिलाना बेहद मुश्किल होता है। इस केंद्रीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म से आपातकालीन परिस्थितियों में रक्त संक्रमण (ब्लड ट्रांसफ्यूज़न) की गति और सुरक्षा में बड़ा सुधार होगा।
ICMR-NIIH और 4 भागीदार संस्थानों द्वारा तैयार की गई।
4,000+ विशिष्ट रक्तदाताओं का डेटाबेस।
300+ दुर्लभ रक्त मार्करों के लिए मल्टीप्लेक्स PCR-आधारित DNA किट्स से परीक्षण।
थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया, और मल्टी-एंटीजन मिसमैच जैसे मामलों के लिए सहायक।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत विकसित डिजिटल प्लेटफॉर्म।
केंद्रीकृत ब्लड मैनेजमेंट सिस्टम जो उपलब्धता और रक्तदाताओं की जानकारी दर्शाता है।
प्रमुख विशेषताएँ:
रीयल-टाइम में रक्त उपलब्धता की जानकारी।
ब्लड बैंकों के स्थान और संपर्क विवरण।
आगामी रक्तदान शिविरों की सूची।
भारत के 1,100+ शहरी क्षेत्रों और 1,180+ ग्रामीण इलाकों में सक्रिय।
दुर्लभ रक्त की उपलब्धता की जानकारी को व्यापक बनाना।
मरीजों के लिए तेज़ और सटीक रक्त मिलान सुनिश्चित करना।
समय, लागत और यात्रा में कमी लाना।
रक्तदाताओं को प्रेरित करना और रक्त स्टॉक का नियमित अद्यतन करना।
विकसित की गई तीव्र परीक्षण किट्स:
सिकल सेल एनीमिया
हीमोफीलिया A
वॉन विलेब्रांड रोग
लागत में भारी कमी:
₹350 → ₹50 प्रति परीक्षण
सरकार को अनुमानित ₹1,857 करोड़ की बचत
तकनीक का व्यावसायीकरण अगस्त 2023 में Bhat Biotech द्वारा Bio-Scan ब्रांड नाम से किया गया।
भारत में 1.4 लाख हीमोफीलिया मरीज, ब्राज़ील के बाद दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा।
यह एकीकरण और किफायती परीक्षण तकनीक:
रोग पहचान में देरी को कम करेगी।
ट्रांसफ्यूज़न में त्रुटियाँ घटाएगी।
PHC (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) स्तर पर उन्नत रक्त परीक्षण संभव बनाएगी।
भारत को दुर्लभ रक्त व आनुवंशिक रोग निदान में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम है।
यह पहल भारत के डिजिटल स्वास्थ्य मिशन को मज़बूती देने के साथ-साथ दुर्लभ रक्त समूहों से जूझ रहे मरीजों के लिए एक नई जीवनरेखा बनेगी।
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