भारत 6 से 8 अगस्त, 2025 तक गाजियाबाद स्थित होटल फॉर्च्यून, डिस्ट्रिक्ट सेंटर में WHO–इंटरनेशनल रेगुलेटरी कोऑपरेशन फॉर हर्बल मेडिसिन्स (IRCH) वर्कशॉप की मेज़बानी करेगा। यह प्रतिष्ठित आयोजन आयुष मंत्रालय द्वारा, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सहयोग से और भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी औषधि संयोजन आयोग (PCIM&H) के समर्थन से आयोजित किया जा रहा है।
इस वर्कशॉप का उद्देश्य है:
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हर्बल दवाओं के लिए वैश्विक नियामक क्षमताओं को मजबूत करना
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अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करना
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पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों के मानकीकरण और गुणवत्ता आश्वासन को बढ़ावा देना
यह कार्यक्रम भारत की आयुष नीति और पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में बढ़ती वैश्विक भूमिका को भी रेखांकित करता है।
WHO–IRCH वर्कशॉप में वैश्विक सहभागिता
6 से 8 अगस्त, 2025 तक गाजियाबाद में आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय वर्कशॉप का उद्घाटन आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा और WHO–IRCH की चेयरपर्सन डॉ. किम सुंगचोल द्वारा किया जाएगा। इस कार्यक्रम में विश्वभर से प्रतिनिधि भाग लेंगे। इनमें से कई देश प्रत्यक्ष रूप से शामिल होंगे —
- भूटान, ब्रुनेई, क्यूबा, घाना, इंडोनेशिया, जापान, नेपाल, पराग्वे, पोलैंड, श्रीलंका, युगांडा और जिम्बाब्वे।
- जबकि ब्राज़ील, मिस्र और अमेरिका के प्रतिनिधि ऑनलाइन माध्यम से जुड़ेंगे।
वर्कशॉप के प्रमुख उद्देश्य
तीन दिवसीय यह तकनीकी बैठक निम्नलिखित पांच मुख्य उद्देश्यों पर केंद्रित होगी:
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हर्बल दवा नियमन में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करना
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हर्बल उत्पादों की सुरक्षा और प्रभावकारिता तंत्र को मजबूत करना
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विभिन्न देशों में नियामक संगति (regulatory convergence) को बढ़ावा देना
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पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को वैश्विक स्तर पर सशक्त बनाना
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हर्बल चिकित्सा को जन स्वास्थ्य प्रणाली में एकीकृत करने को प्रोत्साहन देना
वर्कशॉप की मुख्य झलकियाँ
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WHO–IRCH वर्किंग ग्रुप 1 और 3 की समीक्षा — जो हर्बल औषधियों की सुरक्षा, नियमन, प्रभावशीलता और उपयोग पर केंद्रित हैं।
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वैज्ञानिक सत्र, जिनमें शामिल हैं:
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हर्बल दवाओं में प्री-क्लिनिकल अनुसंधान
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पारंपरिक चिकित्सा के लिए नियामक ढांचे
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सुरक्षा संबंधी केस स्टडी, विशेष रूप से अश्वगंधा (Withania somnifera) पर केंद्रित सत्र
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प्रायोगिक प्रशिक्षण
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हर्बल औषधियों की पहचान
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हेवी मेटल विश्लेषण
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उच्च-प्रदर्शन पतली परत क्रोमैटोग्राफी (High-Performance Thin Layer Chromatography) के माध्यम से रासायनिक प्रोफाइलिंग – PCIM&H की प्रयोगशालाओं में
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आयुष सुरक्षा कार्यक्रम
वर्कशॉप का एक महत्वपूर्ण पहलू आयुष सुरक्षा (फार्माकोविजिलेंस) कार्यक्रम की शुरुआत होगी। यह पहल पारंपरिक औषधियों की सुरक्षा निगरानी को मजबूत करने के लिए है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हर्बल उपचार सुरक्षित, प्रभावी और हानिकारक तत्वों से मुक्त हों।
भारत के एकीकृत स्वास्थ्य तंत्र का अवलोकन
प्रतिनिधि निम्नलिखित संस्थानों का दौरा भी करेंगे:
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PCIM&H, गाजियाबाद – गुणवत्ता नियंत्रण और मानकीकरण प्रक्रिया का अनुभव
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राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान (NIUM), गाजियाबाद – यूनानी पद्धति की जानकारी
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अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIA), नई दिल्ली – आयुर्वेदिक अनुसंधान और एकीकृत चिकित्सा का प्रमुख केंद्र
वैश्विक महत्व
यह वर्कशॉप हर्बल चिकित्सा के क्षेत्र में नियामकों, वैज्ञानिकों और पारंपरिक चिकित्सा विशेषज्ञों के लिए एक वैश्विक मंच प्रदान करेगी। इसमें सुरक्षा मानकों के समन्वय, सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं के आदान-प्रदान, और भविष्य की रणनीतियों पर विमर्श होगा। दुनिया भर में हर्बल उपचारों की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए, इस तरह का अंतरराष्ट्रीय सहयोग सार्वजनिक स्वास्थ्य और जन विश्वास सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत आवश्यक है।