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भारत आगरा में वैश्विक आलू अनुसंधान केंद्र की मेजबानी करेगा

कृषि अनुसंधान और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, केंद्र सरकार ने आगरा जिले के सिंगना में इंटरनेशनल पोटैटो सेंटर (CIP) के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (CSARC) की स्थापना को मंजूरी दे दी है। यह केंद्र पेरू स्थित इंटरनेशनल पोटैटो सेंटर (CIP) का क्षेत्रीय अंग होगा, जो विश्व स्तर पर आलू और शकरकंद अनुसंधान में अग्रणी है। भारत, जो दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक और उपभोक्ता देश है, इस केंद्र की स्थापना से बीज गुणवत्ता, उत्पादकता, प्रोसेसिंग और निर्यात में क्रांतिकारी सुधार की उम्मीद कर रहा है।

समाचार में क्यों?

दिनांक: 25 जून 2025
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने CSARC की स्थापना के प्रस्ताव को मंजूरी दी। यह केंद्र भारत सहित नेपाल, बांग्लादेश जैसे पड़ोसी दक्षिण एशियाई देशों के किसानों को उन्नत आलू और शकरकंद तकनीकों का लाभ देगा। यह निर्णय बढ़ती आलू कीमतों और जलवायु-लचीले किस्मों की मांग के मद्देनज़र लिया गया है।

इंटरनेशनल पोटैटो सेंटर (CIP) के बारे में

  • स्थापना: 1971

  • मुख्यालय: लीमा, पेरू

  • कार्य क्षेत्र: आलू, शकरकंद और एंडीज ट्यूबर

  • भारत से संबंध: 1975 से ICAR (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) के साथ शोध साझेदारी

CSARC की प्रमुख विशेषताएं (आगरा, यूपी में)

  • स्थान: सिंगना, आगरा, उत्तर प्रदेश

  • निवेश: ₹171 करोड़ (भारत ₹111.5 करोड़, CIP ₹60 करोड़)

  • भूमि: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 10 हेक्टेयर

  • लक्षित क्षेत्र: भारत, नेपाल, बांग्लादेश सहित दक्षिण एशिया

प्रमुख उद्देश्य

  • उच्च उत्पादकता, रोगमुक्त, जलवायु-लचीली आलू व शकरकंद की किस्में विकसित करना

  • कटाई के बाद प्रबंधन और प्रोसेसिंग तकनीकों को बढ़ाना

  • मूल्य संवर्धन और निर्यात क्षमता को बढ़ावा देना

  • स्थानीय बीज उत्पादन को बढ़ाकर आयात पर निर्भरता घटाना

  • किसानों की आय और रोजगार में वृद्धि

  • वैश्विक जर्मप्लाज्म और जेनेटिक संसाधनों तक भारत की पहुँच को मजबूत करना

भारत के लिए महत्व

  • वैश्विक स्थिति:

    • भारत – दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक (2020: 51.30 मिलियन टन)

    • चीन – 78.24 मिलियन टन

  • उत्पादकता अंतर (Yield Gap):

    • आलू: वर्तमान – 25 टन/हेक्टेयर | संभावित – 50+ टन/हेक्टेयर

    • शकरकंद: वर्तमान – 11.5 टन/हेक्टेयर | संभावित – 30 टन/हेक्टेयर

  • लाभार्थी राज्य: उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात, पंजाब, मध्य प्रदेश

  • खाद्य सुरक्षा: आलू भारत में चावल और गेहूं के बाद तीसरा सबसे अधिक उपलब्ध खाद्य उत्पाद है

पृष्ठभूमि और वैश्विक संदर्भ

  • समान मॉडल:

    • CIP-China Center for Asia Pacific (CCCAP): बीजिंग, 2017

    • IRRI-South Asia Regional Center (IRRI-SARC): वाराणसी, भारत, 2017

  • ICAR सहयोगी संस्थान:

    • CPRI (शिमला): आलू अनुसंधान

    • CTCRI (तिरुवनंतपुरम): शकरकंद और अन्य कंद फसलों पर अनुसंधान

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