भारत जनवरी 2026 में 28वीं कॉमनवेल्थ देशों के संसदों के अध्यक्षों और पदेन अध्यक्षों की सम्मेलन (CSPOC) की मेज़बानी करेगा। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने यह घोषणा गुएर्नसे में CSPOC की स्थायी समिति की बैठक के दौरान की। यह सम्मेलन संसदों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और सोशल मीडिया के एकीकरण पर केंद्रित होगा, जो भारत की प्रौद्योगिकी में प्रगति और आधुनिक शासन प्रणाली के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
CSPOC का पृष्ठभूमि
CSPOC की स्थापना 1969 में कनाडा के हाउस ऑफ कॉमन्स के तत्कालीन अध्यक्ष लुसीएन लैमॉरेक्स द्वारा की गई थी। यह प्लेटफ़ॉर्म कॉमनवेल्थ देशों के संसदों के अध्यक्षों और पदेन अध्यक्षों के लिए निष्पक्षता, समानता और संसदीय लोकतंत्र के विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से काम करता है। यह सम्मेलन द्विवार्षिक होता है, और इसका सचिवालय कनाडा द्वारा प्रदान किया जाता है। विशेष बात यह है कि CSPOC का कॉमनवेल्थ पार्लियामेंटरी एसोसिएशन या कॉमनवेल्थ सचिवालय से कोई औपचारिक संबंध नहीं है।
भारत की CSPOC के साथ ऐतिहासिक सहभागिता
भारत ने पहले 1970-71, 1986, और 2010 में CSPOC सम्मेलन की मेज़बानी की है, जो कॉमनवेल्थ के भीतर संसदीय संवाद के प्रति भारत की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है। आगामी 2026 सम्मेलन भारत के लिए एक अवसर है जहां वह अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे में अपनी प्रगति के साथ प्रदर्शित कर सकेगा।
प्रौद्योगिकी के एकीकरण पर ध्यान केंद्रित
2026 सम्मेलन में संसद कार्यों में AI और सोशल मीडिया के उपयोग पर जोर दिया जाएगा। यह फोकस भारत की हालिया पहलों के अनुरूप है, जैसे कि लोकसभा द्वारा AI और मशीन लर्निंग तकनीकों को अपनाकर पहुंच को बेहतर बनाने और सांसदों के लिए क्षेत्रीय भाषा अनुवाद प्रदान किया जाना।
वैश्विक चुनौतियों का समाधान
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, और साइबर अपराध जैसी वैश्विक समस्याओं से निपटने में संसदों की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने समावेशी और पारदर्शी संसदीय प्रथाओं की आवश्यकता और साझा चुनौतियों का समाधान करने के लिए संसदीय नेताओं के बीच संवाद के महत्व पर जोर दिया। सम्मेलन का उद्देश्य सदस्य देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है ताकि वे मिलकर सतत विकास और अच्छे शासन की दिशा में काम कर सकें।
‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का महत्व
“वसुधैव कुटुम्बकम” के सिद्धांत को अपनाते हुए, जिसका अर्थ है “संपूर्ण दुनिया एक परिवार है”, बिरला ने गरीबी, असमानता और कुपोषण जैसी समस्याओं से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की अपील की। यह दर्शन भारत के वैश्विक एकता और सामूहिक प्रगति को बढ़ावा देने के दृष्टिकोण को उजागर करता है।
भविष्य की संभावनाएँ
28वीं CSPOC की मेज़बानी करके भारत शासन में प्रौद्योगिकी के एकीकरण में अपने नेतृत्व को और मजबूत करेगा। इस सम्मेलन का भविष्य में कॉमनवेल्थ के भीतर संसदीय प्रथाओं पर प्रभाव पड़ने की संभावना है, जो AI और सोशल मीडिया उपकरणों को अपनाकर नीति निर्माण में सुधार और आधुनिकीकरण को बढ़ावा देगा।
| मुख्य बिंदु | विवरण |
| समाचार में क्यों है | भारत 2026 में 28वीं कॉमनवेल्थ संसदीय सम्मेलन (CSPOC) की मेज़बानी करेगा, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इसकी घोषणा की, जो संसद प्रक्रियाओं में AI और सोशल मीडिया के एकीकरण पर केंद्रित होगा। |
| भारत द्वारा अंतिम मेज़बानी | 2010 |
| पिछले मेज़बानी वर्ष | 1970-71, 1986, और 2010 |
| CSPOC की स्थापना | 1969, लुसियन लैमॉरेक्स द्वारा, हाउस ऑफ कॉमन्स के अध्यक्ष, कनाडा |
| CSPOC सम्मेलन की आवृत्ति | द्विवार्षिक |
| CSPOC सचिवालय | कनाडा |
| 2026 के लिए थीम | संसद प्रक्रियाओं में AI एकीकरण, सोशल मीडिया का उपयोग |
| भारत की संसदीय पहल | लोकसभा द्वारा अनुवाद और पहुंच के लिए AI का उपयोग |
| प्रेरणा दर्शन | “वसुधैव कुटुम्बकम” – पूरा संसार एक परिवार है |
| सामान्य वैश्विक चुनौतियाँ | जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, साइबर अपराध, और असमानता |


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