भारत ने एक बार फिर विज्ञान शिक्षा में अपनी मजबूत नींव का प्रदर्शन करते हुए दुबई, संयुक्त अरब अमीरात में आयोजित 57वें अंतर्राष्ट्रीय रसायन ओलंपियाड (IChO) 2025 में दो स्वर्ण और दो रजत पदक जीतकर वैश्विक स्तर पर छठा स्थान हासिल किया। 90 देशों की भागीदारी वाले इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में यह उपलब्धि भारत की अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक प्रतिस्पर्धाओं में बढ़ती उपस्थिति को रेखांकित करती है।
पृष्ठभूमि
इंटरनेशनल केमिस्ट्री ओलंपियाड (IChO) एक वार्षिक वैश्विक प्रतियोगिता है जिसमें दुनिया भर के सबसे प्रतिभाशाली स्कूली छात्र रसायन शास्त्र के सैद्धांतिक ज्ञान और प्रयोगात्मक कौशल में अपनी क्षमता का प्रदर्शन करते हैं। भारत 1999 से IChO में भाग ले रहा है और लगातार अच्छा प्रदर्शन करता आया है। देश में चयन और प्रशिक्षण की प्रक्रिया होमी भाभा विज्ञान शिक्षा केंद्र (HBCSE), टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR), मुंबई द्वारा आयोजित की जाती है।
उपलब्धि का महत्व
IChO 2025 में भारत के प्रदर्शन—दो स्वर्ण और दो रजत पदक—से न केवल युवाओं की वैज्ञानिक प्रतिभा का प्रमाण मिलता है, बल्कि देश के सुव्यवस्थित ओलंपियाड प्रशिक्षण तंत्र की सफलता भी झलकती है। ऐतिहासिक रूप से भारतीय छात्रों को 30% स्वर्ण, 53% रजत और 17% कांस्य पदक प्राप्त हुए हैं, और हाल के वर्षों में इसमें निरंतर सुधार देखने को मिला है। यह प्रदर्शन भारत की वैश्विक शैक्षणिक प्रतिष्ठा को और मजबूत करता है और वैज्ञानिक उत्कृष्टता के प्रति राष्ट्रीय गर्व को प्रेरित करता है।
उद्देश्य और प्रशिक्षण प्रक्रिया
IChO में भारत की भागीदारी के उद्देश्य हैं:
स्कूली स्तर पर रसायन शिक्षा में उत्कृष्टता को बढ़ावा देना
वैज्ञानिक प्रतिभाओं की पहचान करना और उन्हें संवारना
वैश्विक विज्ञान समुदाय में भारत की स्थिति को सुदृढ़ करना
छात्रों का चयन HBCSE द्वारा आयोजित राष्ट्रीय ओलंपियाड परीक्षाओं की कई चरणों की कठोर प्रक्रिया के माध्यम से होता है। इसके बाद उन्हें ओरिएंटेशन और प्री-डिपार्चर कैंप्स में गहन प्रशिक्षण दिया जाता है। IChO 2025 की मेंटरिंग टीम में IISER पुणे, दिल्ली विश्वविद्यालय और TIFR जैसे प्रमुख संस्थानों के वरिष्ठ वैज्ञानिक शामिल थे।
IChO 2025 की प्रमुख विशेषताएं
आयोजन 5 से 14 जुलाई तक दुबई में हुआ, जिसमें 90 देशों के 354 छात्रों ने भाग लिया।
भारत का प्रतिनिधित्व चार छात्रों की टीम ने किया, जिनका चयन राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं से हुआ था।
यह सफलता भारत को वैज्ञानिक अवसंरचना और शैक्षणिक समर्थन प्रदान करने वाली सरकारी संस्थाओं—परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE), विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST), अंतरिक्ष विभाग (DOS) और शिक्षा मंत्रालय—के योगदान को भी रेखांकित करती है।
भारत की टीम शीर्ष प्रदर्शन करने वालों में शामिल रही, और उसने इज़राइल, उज्बेकिस्तान और यूक्रेन जैसी टीमों के समकक्ष स्थान प्राप्त किया।
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