मैकिन्से हेल्थ इंस्टीट्यूट द्वारा हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण में 30 देशों में कर्मचारियों की भलाई पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य जैसे कारकों पर जोर दिया गया है। यह सर्वेक्षण कर्मचारी कल्याण में महत्वपूर्ण असमानताओं को उजागर करता है, जिसमें जापान सबसे निचले स्थान पर है और भारत ने एक उल्लेखनीय स्थान हासिल किया है।
मैकिन्से हेल्थ इंस्टीट्यूट द्वारा 30 देशों के कर्मचारियों पर किए गए सर्वे के अनुसार, कर्मचारियों की वेलबीइंग (भलाई) की ग्लोबल रैंकिंग में भारत दूसरे जबकि जापान आखिरी स्थान पर है। शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के आधार पर यह आकलन हुआ। सूची में तुर्की पहले स्थान पर है जिसके बाद भारत, चीन, नाइजीरिया, कैमरून, स्वीडन, मेक्सिको और यूएई हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, अध्ययन में 30 देशों के 30,000 से अधिक कर्मचारियों को शामिल किया गया। अध्ययन में जापान के 25 प्रतिशत अंक आए। तुर्की के सबसे अधिक 78 प्रतिशत और उसके बाद भारत के 76 प्रतिशत, चीन के 75 प्रतिशत और नाइजीरिया और कैमरून के करीब 65-65 प्रतिशत अंक आए। अध्ययन का वैश्विक औसत 57 प्रतिशत रहा। सबसे नीचे के क्रम में जापान के बाद ब्रिटेन, नीदरलैंड, फ्रांस, न्यूजीलैंड, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और पोलैंड हैं।
अंतर-सांस्कृतिक संचार और व्यवसायिक प्रथाओं पर कंपनियों को सलाह देने वाली रोशेल कोप्प बताती हैं कि अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षणों में जापान की रेटिंग लगातार कम रही है। कोप्प ने कहा कि खुद को कम आंकने की प्रलेखित प्रवृत्ति, कार्यस्थल पर संतुष्टि की कमी और तनाव का बढ़ता स्तर जापान की इस रैंकिंग के कारण है। बता दें कि जापानी में बड़ी संख्या में कर्मचारी अल्पकालिक अनुबंध पर काम करते हैं, जिससे कर्मचारियों के बीच अनिश्चितता बढ़ रही है।
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कल्याणकारी योजनाएं प्रदान करने के पीछे का तर्क संगठन के लिए कुशल, स्वस्थ, वफादार और संतुष्ट श्रम बल तैयार करना है। ऐसी सुविधाएं प्रदान करने का उद्देश्य उनके कामकाजी जीवन को बेहतर बनाना और उनके जीवन स्तर को ऊपर उठाना है।
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