भारत की एयरोस्पेस आत्मनिर्भरता को मज़बूत करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने घोषणा की कि भारत और फ्रांस की एयरोस्पेस दिग्गज कंपनी सफ़्रान (Safran) मिलकर देश में ही जेट इंजन का सह-विकास और निर्माण करेंगे। ये इंजन भारत के आगामी एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) — स्वदेशी डिज़ाइन वाला पाँचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट — को शक्ति प्रदान करेंगे।
परियोजना को कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने 2024 में मंज़ूरी दी।
लागत: लगभग ₹15,000 करोड़।
विकासकर्ता: डीआरडीओ (DRDO) और एचएएल (HAL)।
दो संस्करण:
मार्क-1: मौजूदा इंजनों से संचालित।
मार्क-2: नए सह-विकसित उच्च-थ्रस्ट इंजन (110 kN) से लैस।
फ्रांसीसी भागीदार: Safran (वैश्विक स्तर पर मान्य इंजन निर्माता)।
भारतीय भागीदार: DRDO और HAL (रक्षा मंत्रालय के तहत)।
प्रमुख लक्ष्य:
अत्याधुनिक 110 kN थ्रस्ट वाला इंजन विकसित करना।
एंड-टू-एंड तकनीक हस्तांतरण और स्थानीय उत्पादन सुनिश्चित करना।
समयसीमा: लगभग 10 वर्ष में विकास पूरा करने का रोडमैप तैयार।
तकनीकी आत्मनिर्भरता – जेट इंजन बनाने की महत्वपूर्ण तकनीक हासिल होगी, जो अब तक भारत के रक्षा ढांचे की सबसे बड़ी कमी रही है।
मेक इन इंडिया को मज़बूती – स्वदेशी उत्पादन और आयात पर निर्भरता कम होगी।
निर्यात क्षमता में वृद्धि – स्वदेशी इंजन वाला 5वीं पीढ़ी का फाइटर जेट वैश्विक बाजारों के लिए आकर्षक बनेगा।
भारत–फ्रांस रक्षा साझेदारी गहरी होगी – उच्च-तकनीकी सहयोग से संबंध नए स्तर पर पहुँचेंगे।
जेट इंजन एयरोस्पेस की सबसे जटिल और उच्च-सटीकता वाली तकनीक है।
भारत ने विमान और उपग्रह डिज़ाइन में प्रगति की है, लेकिन इंजन निर्माण में पिछड़ता रहा।
पहले का प्रयास कावेरी इंजन परियोजना तकनीकी और वित्तीय अड़चनों में अटक गया।
मौजूदा Safran साझेदारी से स्वदेशी प्रयासों को पुनर्जीवित करने और निश्चित समयसीमा में सफलता पाने की उम्मीद है।
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