हाल ही में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) द्वारा राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCF) जारी की गई, जिससे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के नियमों के तहत शिक्षा प्रणाली में महत्त्वपूर्ण सुधार हुए। ये करीकुलम फ्रेमवर्क लगभग 36 साल से चली आ रही भारतीय शिक्षा प्रणाली को पूरी तरह से बदल सकता है। इसे नई शिक्षा नीति (New Education Policy) 2020 के तहत केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने तैयार किया है।
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCF) केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के तहत कक्षा 3 से कक्षा 12 तक के विद्यार्थियों के लिये शैक्षिक परिदृश्य को नया आकार देते हुए भाषा सीखने, विषय संरचना, मूल्यांकन रणनीतियों और पर्यावरण शिक्षा में बदलाव पेश करती है। स्कूली शिक्षा के संदर्भ में, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में 10+2 प्रणाली को बदलकर 5+3+3+4 करने की सिफारिश की गई है और विभिन्न चरणों – मूलभूत, प्रारंभिक, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक में पाठ्यक्रम और शैक्षणिक बदलावों के सुझाव देने वाले विकासात्मक दृष्टिकोण पर जोर दिया गया है।
इसका उद्देश्य शिक्षाशास्त्र सहित पाठ्यक्रम में सकारात्मक बदलावों के माध्यम से NEP 2020 में परिकल्पित भारत की स्कूली शिक्षा प्रणाली को सकारात्मक रूप से बदलने में मदद करना है। इसका मुख्य उद्देश्य भारत के संविधान द्वारा परिकल्पित समतामूलक, समावेशी और बहुलवादी समाज को साकार करने के अनुरूप सभी बच्चों को उच्चतम गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करना है।
इस नये करीकुलम फ्रेमवर्क में स्कूली शिक्षा में छात्रों को कई विषयों की पढ़ाई के अलावा एक साल में दो बार बोर्ड की परीक्षा और 12वीं में सेमेस्टर प्रणाली लागू करना अहम बदलाव में शामिल है। NCF में कक्षाओं में बच्चों के लिए बैठने के इंतजाम, स्कूलों में होने वाली असेंबली, यूनिफॉर्म, भाषा और संस्कृति से जुड़ाव जैसे अन्य विषयों के बदलाव भी शामिल हैं।
NCF के मुताबिक सेकेंडरी स्टेज को चार ग्रेड में बांटा गया है जिसमें छात्रों को कुल 16 विकल्प आधारित पाठ्यक्रमों को पूरा करना होगा। सेकेंडरी स्टेज को चार ग्रेड में 9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं क्लास शामिल है। इस स्टेज में छात्रों को 8-8 ग्रुप में कुल 16-16 पेपर देने होंगे। 11वीं-12वीं के हिस्सों को एक साथ रखा गया है। इसमें स्टूडेंट्स को 8 विषयों में से हर ग्रुप के दो-दो विषय (16 विषय) दो साल के दौरान पढ़ने होंगे।
बोर्ड परीक्षाएं साल में दो बार आयोजित की जाएंगी और छात्रों को बेस्ट स्कोर लाने की अनुमति दी जाएगी। कक्षा 11,12 में विषयों का चयन केवल स्ट्रीम तक ही सीमित नहीं रहेगा, छात्रों को चयन में लचीलापन मिलेगा। 2024 शैक्षणिक सत्र के लिए पाठ्यपुस्तकें विकसित की जाएंगी। कक्षा में पाठ्यपुस्तकों को ‘कवर’ करने की वर्तमान प्रथा से बचा जाएगा। पाठ्यपुस्तकों की लागत पर भी विचार किया जाएगा। स्कूल बोर्ड उचित समय में ‘ऑन डिमांड’ परीक्षा की पेशकश करने की क्षमता विकसित करेंगे।
दोनों वर्षों की पढ़ाई और परीक्षाएं सेमेस्टर सिस्टम से होंगी। छात्रों को अपने पसंद के चुने गए विषय को उसी सेमेस्टर में पूरा करना होगा। 16 में से 8 विषय के पेपर पहले साल यानी 11वीं और बाकी 8 विषयों के पेपर दूसरे सेमेस्टर यानी 12वीं क्लास में पूरे करने होंगे। सभी 16 पेपर (कोर्स) पूरा कर लेने के बाद 12वीं क्लास का सर्टिफिकेट मिलेगा। यही पैटर्न 9वीं और 10वीं परीक्षा में भी होगा।
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