भारत 7.6 प्रतिशत की औसत वार्षिक जीडीपी वृद्धि दर के साथ 2047 तक एक विकसित देश बन सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के जुलाई बुलेटिन में प्रकाशित एक लेख में यह बात कही गई है। ‘इंडिया एट 100’ शीर्षक वाले लेख में कहा गया है कि पूंजी भंडार, बुनियादी ढांचे और लोगों के कौशल के मौजूदा स्तर को देखते हुए यह काम आसान नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2022 को भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के अवसर पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनने की बात कही थी।
हरेंद्र बेहरा, धन्या वी, कुणाल प्रियदर्शी और सपना गोयल ने अपने लेख में कहा कि विकसित अर्थव्यवस्था बनने के लिए प्रति व्यक्ति आय का अपेक्षित स्तर हासिल करने के लिए भारत की वास्तविक जीडीपी को अगले 25 वर्षों के दौरान सालाना 7.6 प्रतिशत की दर से बढ़ने की जरूरत है।
लेखक आरबीआई के आर्थिक और नीति अनुसंधान विभाग से संबंधित हैं। केंद्रीय बैंक ने कहा कि लेख में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और आरबीआई के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। भारत की वृद्धि दर 2022-23 में 7.2 प्रतिशत थी। चालू वित्त वर्ष के दौरान इसके 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
लेख में यह भी कहा गया कि भारत को अपने औद्योगिक क्षेत्र को मजबूत करने की जरूरत है, ताकि आर्थिक संरचना को संतुलित किया जा सके। इसके लिए सकल घरेलू उत्पाद में इसकी हिस्सेदारी 2047-48 तक बढ़ाकर 35 प्रतिशत करनी होगी, जो इस समय 25.6 प्रतिशत है।
लेख में बताया गया है कि भारत को अपने औद्योगिक क्षेत्र को मजबूत करके अपनी आर्थिक संरचना को संतुलित करना चाहिए। इससे सकल घरेलू उत्पाद में इसकी हिस्सेदारी 2047-48 तक 25.6 फीसदी से बढ़कर 35 फीसदी हो जाए। इसके अलावा आने वाले 25 वर्षों में कृषि को 4.9 फीसदी और सर्विस सेक्टर को 13 फीसदी की दर से बढ़ना होगा। इसके बाद 2047-48 में सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र में 5 प्रतिशत और सर्विस सेक्टर में 60 प्रतिशत होगी।
2047 तक विकसित देश बनने के लिए भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी को मौजूदा स्तर से 8.8 गुना बढ़ाने की जरूरत है। दूसरे शब्दों में कहें तो प्रति व्यक्ति जीडीपी 2,500 अमेरिकी डॉलर को बढ़ाकर 22,000 अमेरिकी डॉलर करने की जरूरत है। इसके आगे लेख में ये बी कहा गया है कि विकास की गति को जारी रखने के लिए भौतिक पूंजी में निवेश और उत्पादकता बढ़ाने के लिए शिक्षा, बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य सेवा और प्रौद्योगिकी को कवर करने वाले क्षेत्रों में व्यापक सुधार की आवश्यकता है।
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