भारत की समृद्ध समुद्री धरोहर को सम्मानित करने के उद्देश्य से पहला भारत समुद्री धरोहर सम्मेलन (IMHC 2024) 11-12 दिसंबर को बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW) द्वारा आयोजित किया गया। यह सम्मेलन भारत के समुद्री अतीत को उजागर करते हुए देश को एक वैश्विक समुद्री शक्ति के रूप में स्थापित करने की दिशा में आयोजित किया गया था। इसमें प्रमुख मंत्रियों, समुद्री विशेषज्ञों और अंतरराष्ट्रीय गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया। सम्मेलन ने स्थायी समुद्री प्रथाओं, रोजगार अवसरों और नवाचार पर जोर दिया।
भारत की समुद्री धरोहर का ऐतिहासिक महत्व
भारत का समुद्री इतिहास ऋग्वेद और सिंधु घाटी सभ्यता के समय से जुड़ा हुआ है, जहां समुद्री व्यापार और गतिविधियों ने अहम भूमिका निभाई। सम्मेलन में प्राचीन जहाज निर्माण तकनीकों और व्यापार मार्गों पर चर्चा की गई, जो भारत को दुनिया से जोड़ते थे। आज का भारत अपने विशाल समुद्र तट और रणनीतिक बंदरगाहों के साथ वैश्विक व्यापार में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। भारत अपने कुल व्यापार का 95% मात्रा और 70% मूल्य समुद्री मार्गों से करता है।
मुख्य बिंदु और योगदान
- उद्घाटन: केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल द्वारा उद्घाटन। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समर्थन संदेश भेजे।
- प्रमुख चर्चा: भारत को वैश्विक समुद्री केंद्र बनाने, रोजगार सृजन, और समुद्री धरोहर के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित।
- प्रदर्शनी: सम्मेलन में भारत की प्राचीन समुद्री तकनीकों और व्यापार इतिहास को दर्शाने वाली प्रदर्शनी लगाई गई। 20 से अधिक अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शकों और ग्रीस, इटली, यूके जैसे देशों ने भाग लिया।
लौथल में राष्ट्रीय समुद्री धरोहर परिसर
सम्मेलन का मुख्य आकर्षण गुजरात के लौथल में बनने वाला राष्ट्रीय समुद्री धरोहर परिसर (NMHC) था। लौथल, जिसका इतिहास 2600 ईसा पूर्व तक जाता है, प्राचीन जहाज निर्माण तकनीकों और व्यापार पद्धतियों को प्रदर्शित करेगा। यह परिसर भारत की ऐतिहासिक समुद्री उपलब्धियों को उजागर करेगा।
भारत के समुद्री भविष्य की दृष्टि
सम्मेलन में भारत को एक समुद्री शक्ति के रूप में स्थापित करने की रणनीतियों पर चर्चा की गई।
- नीली अर्थव्यवस्था (Blue Economy): स्थायी प्रथाओं को बढ़ावा देना।
- रोजगार: समुद्री क्षेत्र में नए अवसर पैदा करना।
- शिक्षा: समुद्री धरोहर को भारतीय शिक्षा प्रणाली में शामिल करना।
सहयोग और भागीदारी
यह सम्मेलन कई मंत्रालयों जैसे श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, युवा मामले और खेल मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय, और पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से आयोजित किया गया। गुजरात, गोवा, बिहार और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों ने भी अहम भूमिका निभाई। यह सम्मेलन भारत की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व को दर्शाता है।
समाचार सारांश | मुख्य बिंदु |
क्यों चर्चा में? | भारत समुद्री धरोहर सम्मेलन (IMHC 2024) का आयोजन, 11-12 दिसंबर 2024 को बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW) द्वारा भारत की समुद्री धरोहर और भविष्य में वैश्विक समुद्री नेतृत्व की भूमिका को उजागर करने के लिए। |
IMHC 2024 की थीम | “वैश्विक समुद्री इतिहास में भारत की स्थिति को समझने की ओर।” |
मुख्य गणमान्य व्यक्ति | केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल द्वारा उद्घाटन। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संबोधित किया। |
सम्मेलन के प्रतिभागी | गुजरात, गोवा, बिहार और अरुणाचल प्रदेश के मंत्री। 11 देशों के अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि। |
राष्ट्रीय समुद्री धरोहर परिसर (NMHC) | लौथल, गुजरात में स्थित। 2600 ईसा पूर्व के ऐतिहासिक स्थल पर भारत की प्राचीन जहाज निर्माण तकनीकों को प्रदर्शित करने वाला केंद्र। |
संबंधित राज्य | गुजरात, गोवा, बिहार, अरुणाचल प्रदेश |
संबंधित मंत्रालय | बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW) |
प्रासंगिक योजनाएं | लौथल में NMHC का विकास, समुद्री धरोहर के संरक्षण और रोजगार सृजन पर ध्यान। |
ऐतिहासिक संदर्भ | भारत का समुद्री इतिहास ऋग्वेद और सिंधु घाटी सभ्यता तक जाता है, जिसने वैश्विक व्यापार और संस्कृति में योगदान दिया। |
समुद्री आँकड़े | भारत की 7,500 किमी तटीय रेखा, 13 प्रमुख बंदरगाह, 200 गैर-प्रमुख बंदरगाह। 95% व्यापार मात्रा और 70% व्यापार मूल्य समुद्री मार्गों से होता है। वार्षिक कार्गो क्षमता: 1,200 मिलियन टन। |
सरकारी सहयोग | सहयोगी मंत्रालय: श्रम और रोजगार मंत्रालय, युवा मामले और खेल मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय, पर्यटन और संस्कृति मंत्रालय। |
मुख्य फोकस क्षेत्र | स्थायी समुद्री प्रथाएं, कौशल विकास, शिक्षा प्रणाली में समुद्री धरोहर का एकीकरण, पर्यटन संवर्धन और समुद्री धरोहर का संरक्षण। |