भारत सरकार ने 12 जुलाई 2025 को पीएम ई-ड्राइव (PM E-DRIVE) पहल के तहत अपना पहला इलेक्ट्रिक ट्रक (ई-ट्रक) प्रोत्साहन योजना शुरू की, जिसके तहत प्रति वाहन अधिकतम ₹9.6 लाख की सब्सिडी दी जाएगी। इस योजना की घोषणा केंद्रीय मंत्री एच. डी. देवगौड़ा ने की। इसका उद्देश्य प्रदूषण को कम करना और स्वच्छ माल परिवहन (फ्रेट ट्रांसपोर्ट) को बढ़ावा देना है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हरित गतिशीलता (ग्रीन मोबिलिटी) और 2070 तक नेट ज़ीरो उत्सर्जन प्राप्त करने के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
यह योजना N2 और N3 श्रेणियों के इलेक्ट्रिक ट्रकों के लिए प्रोत्साहन प्रदान करती है, जिनका सकल वाहन भार (GVW) 3.5 टन से लेकर 55 टन तक है।
अधिकतम ₹9.6 लाख प्रति ट्रक की सब्सिडी अग्रिम छूट (upfront discount) के रूप में मिलेगी।
निर्माता कंपनियों को यह राशि पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर पीएम ई-ड्राइव पोर्टल के माध्यम से वापस मिलेगी।
गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए योजना में सख्त वारंटी नियम भी शामिल हैं:
बैटरी के लिए 5 साल या 5 लाख किलोमीटर की वारंटी।
वाहन और मोटर के लिए 5 साल या 2.5 लाख किलोमीटर की वारंटी।
इसके साथ ही, खरीदारों को पुराने प्रदूषणकारी डीज़ल ट्रकों को स्क्रैप करना होगा, जिससे पर्यावरण को और लाभ मिलेगा।
हालांकि डीज़ल ट्रक कुल वाहनों का केवल 3% हैं, लेकिन ये परिवहन से संबंधित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का 42% हिस्सा बनाते हैं। ऐसे में यह योजना वायु गुणवत्ता सुधारने, कार्बन उत्सर्जन कम करने और भारत के जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में अहम भूमिका निभाएगी।
इस योजना के तहत ₹100 करोड़ के बजट से 5,600 ई-ट्रकों को बढ़ावा देने की योजना है, जिसमें से 1,100 ट्रक दिल्ली में तैनात किए जाएंगे। यह योजना सीमेंट, स्टील, पोर्ट और लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगी, जहां भारी ट्रकों का बड़े पैमाने पर उपयोग होता है।
भारत की अग्रणी कंपनियां जैसे टाटा मोटर्स, अशोक लेलैंड और वोल्वो-आईशर पहले से ही इलेक्ट्रिक ट्रकों पर काम कर रही हैं। यह योजना आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत घरेलू ईवी उद्योग को गति देगी।
सरकारी उपक्रम सेल (SAIL) ने पहले ही 150 ई-ट्रक खरीदने की प्रतिबद्धता जताई है और वह अपने किराए के बेड़े का 15% विद्युतीकरण करना चाहता है। यह पहल अन्य सरकारी कंपनियों के लिए भी एक मिसाल बनेगी कि वे हरित परिवहन को बढ़ावा दें।
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