विज्ञान का महाकुंभ कहे जाने वाले इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल (आईआईएसएफ) का 8वाँ संस्करण भोपाल में आयोजित किया जा रहा है। राजा भोज की नगरी में 21-24 जनवरी, 2023 को आयोजित होने वाले इस अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव में देश-विदेश के वैज्ञानिक, प्रौद्योगिकीविद, नीति-निर्माता, शिल्पकार, स्टार्टअप्स, किसान, शोधार्थी, छात्र और नवोन्मेषक हिस्सा ले रहे हैं।
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केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा है कि यह भारत की वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीय प्रगति की उपलब्धियों का उल्लास मनाने का एक उत्सव है। डॉ सिंह ने कहा है कि यह विज्ञान महोत्सव महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत द्वारा जी-20 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता के साथ आयोजित हो रहा है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि इस चार दिवसीय महोत्सव में 14 अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। विज्ञान महोत्सव में देशभर से 8,000 से अधिक प्रतिनिधियों के शामिल होने की उम्मीद है। इसके अलावा, एक लाख से अधिक में स्थानीय आगंतुक इस उत्सव के साक्षी बनेंगे। आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में आयोजित हो रहे आईआईएसएफ के इस संस्करण की प्रमुख विषयवस्तु “विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के साथ अमृतकाल की ओर अग्रसर” है।
आईआईएसएफ का आयोजन पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) द्वारा देश के प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों के नेतृत्व में स्वदेशी भावना के साथ कार्य कर रही संस्था विज्ञान भारती (विभा) के सहयोग से किया जा रहा है। डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि आईआईएसएफ के समर्थन में अंतरिक्ष विभाग (डीओएस) और परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) की सहभागिता इस वर्ष एक अतिरिक्त आकर्षण होगी।
वर्ष 2015 में अपने प्रारंभ के बाद से आईआईएसएफ–2022 इस आयोजन का आठवाँ संस्करण है। पहला और दूसरा आईआईएसएफ नई दिल्ली में, तीसरा चेन्नई में, चौथा लखनऊ में, पाँचवां कोलकाता में, छठा वर्चुअल मोड के माध्यम से और आखिरी आईआईएसएफ गोवा में आयोजित किया गया था। वर्ष 2020 में, कोविड-19 ने इस वार्षिक आयोजन के लिए गंभीर चुनौती खड़ी कर दी थी। लेकिन, कार्यक्रम को वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर आयोजित कर इसके प्रवाह को बाधित नहीं होने दिया गया।
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