भारत, जो वैश्विक सांप काटने से होने वाली मौतों का लगभग 50% हिस्सा रखता है, ने सांप काटने को राष्ट्रीय स्तर पर अधिसूचित बीमारी घोषित किया है। यह पहल ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों में सांप काटने से होने वाली उच्च मृत्यु दर और विकलांगता को कम करने के उद्देश्य से की गई है। यह कदम विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के उस लक्ष्य के अनुरूप है, जिसमें 2030 तक सांप काटने से होने वाली मौतों और चोटों को आधा करने का लक्ष्य रखा गया है।
भारत में सांपों की कई प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें कई बहुत जहरीले होते हैं, तो कुछ कम। ज्यादा खतरनाक सांपों में कॉमन क्रेट, इंडियन कोबरा, रसेल वाइपर और सॉ-स्केल्ड वाइपर शामिल हैं। ये चार सांप ही भारत में सर्पदंश के 90 फीसदी मामलों के लिए जिम्मेदार हैं। इनके काटने पर ‘पॉलीवैलेंट एंटी-स्नेक वेनम’ दिया जाता है। यह दवा सांप काटने के 80 फीसदी मामलों में कारगर होती है।
अब सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए ठोस कदम उठाया है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य सचिवों को इस संबंध में पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि सांप का काटना सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता का विषय है और कुछ मामलों में, यह मौत, बीमारी और विकलांगता का कारण बनता है। किसान, आदिवासी आबादी आदि इसके अधिक जोखिम में हैं।
| मुख्य बिंदु | विवरण |
|---|---|
| क्यों खबर में? | भारत ने सांप काटने को अधिसूचित बीमारी घोषित किया, WHO के 2030 लक्ष्य के अनुरूप। |
| महत्व | भारत, जो वैश्विक सांप काटने से होने वाली मौतों का 50% योगदान देता है, अब बेहतर निगरानी सुनिश्चित करेगा। |
| अनिवार्य रिपोर्टिंग | सभी स्वास्थ्य केंद्रों को सांप काटने के मामलों और मौतों की रिपोर्ट देनी होगी। |
| ICMR का योगदान | डहानू मॉडल, IEC सामग्री, प्रशिक्षण कार्यक्रम, महाराष्ट्र और ओडिशा में विस्तार। |
| पहले कदम उठाने वाले राज्य | कर्नाटक, तमिलनाडु। |
| विशेषज्ञों की राय | सटीक डेटा, संसाधनों का बेहतर प्रबंधन और हाशिए पर पड़े समुदायों पर ध्यान देने की आवश्यकता। |
| अपेक्षित परिणाम | मौतों में कमी, बेहतर तैयारी, और स्वास्थ्य प्रतिक्रिया में सुधार। |
| चुनौतियां | कम रिपोर्टिंग और पारंपरिक उपचारों पर निर्भरता को दूर करना। |
| अगले कदम | राष्ट्रीय ढांचे को मजबूत करना और राज्य स्तर के प्रयासों को जोड़ना। |
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