भारत सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई BioE3 (Biotechnology for Economy, Environment & Employment) नीति के तहत एक ऐतिहासिक पहल की है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने घोषणा की कि भारत पहली बार अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर जैविक प्रयोग करेगा, जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष में मानव जीवन की स्थायित्व का अध्ययन करना है। यह प्रयोग AXIOM-4 मिशन के तहत किया जाएगा, जिसमें भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला भी चालक दल के सदस्य होंगे।
समाचार में क्यों?
16 मई 2025 को विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ने घोषणा की कि भारत पहली बार अंतरिक्ष आधारित जैविक प्रयोग करेगा। ये प्रयोग AXIOM-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर भेजे जाएंगे। इसका उद्देश्य अंतरिक्ष में दीर्घकालिक मानव उपस्थिति और टिकाऊ जैव-तकनीकी समाधानों का विकास है।
मुख्य उद्देश्य:
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अंतरिक्ष में जीवन समर्थन प्रणालियों की व्यवहार्यता का मूल्यांकन करना
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माइक्रोएल्गी और सायनोबैक्टीरिया का उपयोग करके सतत खाद्य स्रोतों की खोज
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अंतरिक्ष वातावरण में जैव निर्माण और जैव प्रौद्योगिकी में भारत की क्षमता को बढ़ाना
प्रयोगों का विवरण:
ये प्रयोग ISRO और जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) द्वारा BioE3 नीति के अंतर्गत किए जा रहे हैं।
1. माइक्रोएल्गी प्रयोग
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माइक्रोग्रैविटी और अंतरिक्ष विकिरण के प्रभावों का अध्ययन
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पोषण से भरपूर खाद्य स्रोत के रूप में खाने योग्य माइक्रोएल्गी पर केंद्रित
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दीर्घकालिक अंतरिक्ष मिशनों के लिए सुरक्षित और टिकाऊ पोषण विकल्प प्रदान करने का लक्ष्य
2. सायनोबैक्टीरिया प्रयोग
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Spirulina और Synechococcus जैसी प्रजातियों की वृद्धि और प्रोटियोमिक प्रतिक्रिया का अध्ययन
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यूरिया और नाइट्रेट आधारित माध्यमों में वृद्धि की तुलना
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Spirulina को एक “सुपरफूड” के रूप में देखा जा रहा है — इसमें प्रोटीन और विटामिन की मात्रा अधिक होती है
BioE3 नीति के बारे में:
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पूरा नाम: Biotechnology for Economy, Environment, and Employment
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कार्यान्वयन एजेंसी: जैव प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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उद्देश्य: अत्याधुनिक जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान को भारत के आर्थिक, पर्यावरणीय और रोजगार लक्ष्यों से जोड़ना
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मुख्य क्षेत्र: बायोमैन्युफैक्चरिंग, बायो-इनोवेशन, सतत विकास, प्रौद्योगिकी-आधारित प्रगति
प्रयोगों का महत्व:
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अंतरिक्ष जैव विज्ञान में भारत की क्षमता को मजबूती देना
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भारत के मानव अंतरिक्ष मिशनों जैसे गगनयान आदि के लिए समर्थन
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अंतरिक्ष में खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा
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अंतरिक्ष और जैव प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता की दिशा में रणनीतिक बढ़त
सारांश / स्थिर तथ्य | विवरण |
समाचार में क्यों? | BioE3 नीति के तहत भारत द्वारा अंतरिक्ष में मानव जीवन की स्थिरता की खोज |
मिशन | AXIOM-4 (अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन – ISS) |
संबंधित एजेंसियाँ | ISRO और जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) |
उद्देश्य | अंतरिक्ष में मानव जीवन की स्थिरता का अध्ययन करना |
प्रमुख प्रयोग | माइक्रोएल्गी और सायनोबैक्टीरिया (स्पाइरुलिना) |
BioE3 नीति | अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार हेतु जैव प्रौद्योगिकी |
महत्व | खाद्य स्थिरता, अंतरिक्ष अनुसंधान, जैव प्रौद्योगिकी में प्रगति |
कार्यान्वयन निकाय | जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) |
अध्ययन किया गया सुपरफूड | स्पाइरुलिना |
संभावित लॉन्च तिथि | भविष्य के AXIOM-4 मिशन के अंतर्गत |