केन्द्रीय इस्पात और नागरिक उड्डयन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम सिंधिया ने कहा है कि भारत 2014-15 से 2022-23 तक कच्चे इस्पात के चौथे सबसे बड़े उत्पादक से कच्चे इस्पात के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक के रूप में उभरा है। भारत ने 2014-15 में 88.98 मिलियन टन (मीट्रिक टन) से कच्चे इस्पात के उत्पादन में 42% की वृद्धि दर्ज की है, जो 2022-23 में 126.26 मिलियन टन हो गया है।
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देश में इस्पात उद्योग की वृद्धि और विकास को बढ़ावा देने के लिए 2017 में भारत सरकार द्वारा तैयार की गई राष्ट्रीय इस्पात नीति में 2030-31 तक 300 एमटीपीए (मिलियन टन प्रति वर्ष) की कुल कच्चे इस्पात की क्षमता और 255 एमटीपीए की कुल कच्चे इस्पात की मांग/उत्पादन प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। वर्ष 2030-31 तक सेल की कच्चे इस्पात के उत्पादन की परिचालन क्षमता को मौजूदा 195.1 लाख टन सालाना से बढ़ाकर लगभग 35.65 एमटीपीए करने की भी परिकल्पना की गई है।
पीएलआई (उत्पादक लिंक्ड प्रोत्साहन) योजना के तहत, सरकार ने इस्पात क्षेत्र को एक नई गति देने के लिए 6322 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। श्री सिंधिया ने कहा कि पीएलआई योजना से अगले 5 वर्षों में लगभग 30,000 करोड़ रुपये का निवेश और लगभग 25 मिलियन टन विशेष इस्पात की अतिरिक्त क्षमता निर्माण होने की उम्मीद है।
देश | मार्च 2023 (Mt) |
पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना | 95.7 |
इंडिया | 11.4 |
जापान | 7.5 |
संयुक्त राज्य अमेरिका | 6.7 |
रूस | 6.6 |
दक्षिण कोरिया | 5.8 |
तुर्की | 3.3 |
जर्मनी | 2.7 |
ब्राज़ील | 2.7 |
ईरान | 2.2 |
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