भारत ने चीन के पड़ोसी देश फिलीपीन को ब्रह्मोस मिसाइल की पहली खेप सौंपी। फिलीपीन इसे दक्षिणी चीन सागर में तैनात करेगा, जिससे चीन की चिंता बढ़ गई है। दक्षिण चीन सागर में फिलीपीन का स्पार्कली द्वीप को लेकर विवाद चलता रहता है।
चीन आसपास के छोटे द्वीपीय देशों को धमकाता रहता है, क्योंकि यह देश सैन्य रूप से मजबूत नहीं हैं। ऐसे में ब्रह्मोस के मिलने से फिलीपीन की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी, इस बात को लेकर चीन अधिक चिंतित है।
जनवरी 2022 में फिलीपीन ने भारत के साथ ब्रह्मोस मिसाइल की खरीद के लिए 2,966 करोड़ रुपये का सौदा किया था। भारत व रूस को छोड़कर ब्रह्मोस मिसाइल पाने वाला फिलीपीन दुनिया का पहला देश है। वायुसेना के सी-17 ग्लोबमास्टर विमान के जरिये ब्रह्मोस की डिलिवरी की गई। ब्रह्मोस के तीन सिस्टम सौंपे गए हैं। हर सिस्टम में दो मिसाइल लॉन्चर, एक रडार और एक कमांड एंड कंट्रोल सेंटर होता है।
फिलीपीन को भारत ब्रह्मोस मिसाइल के संचालन का प्रशिक्षण भी देगा। इस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की गति मैक 2.8 है। यानी आवाज की गति से 2.8 गुना ज्यादा। फिलीपीन को दी गई ब्रह्मोस की मारक क्षमता 290 किमी है। इसे पनडुब्बी, पोत, हवाई जहाज या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है।
ब्रह्मोस एयरोस्पेस के महानिदेशक अतुल दिनाकर राणे के मुताबिक अर्जेंटीना, वियतनाम सहित दुनिया के 12 देश इसे खरीदने को उत्सुक हैं।
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