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भारत ने WHO की वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा रणनीति के प्रति प्रतिबद्धता दोहराई

जिनेवा में आयोजित 78वीं विश्व स्वास्थ्य महासभा में “वन वर्ल्ड फॉर हेल्थ” थीम के तहत भारत ने पारंपरिक चिकित्सा (Traditional Medicine – TM) को मुख्यधारा की स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में एकीकृत करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। भारत की ओर से संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि श्री अरिंदम बागची ने सभा में भाग लिया और आयुर्वेद, योग, सिद्ध, यूनानी जैसे साक्ष्य-आधारित पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को आगे बढ़ाने में भारत की भूमिका को रेखांकित किया। भारत ने WHO पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक रणनीति 2025–2034 को अपनाने का स्वागत किया।

क्यों है यह समाचारों में?

भारत ने मई 2025 में आयोजित 78वीं WHA में भाग लिया और WHO की नई पारंपरिक चिकित्सा रणनीति (2025–2034) का समर्थन किया। इसके साथ ही भारत ने WHO के साथ एक डोनर एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत पारंपरिक चिकित्सा के लिए ICHI (International Classification of Health Interventions) में एक विशेष मॉड्यूल विकसित किया जाएगा।

मुख्य झलकियाँ

  • घटना: 78वीं विश्व स्वास्थ्य महासभा, जिनेवा

  • थीम: वन वर्ल्ड फॉर हेल्थ (One World for Health)

  • भारत का प्रतिनिधित्व: श्री अरिंदम बागची

  • मुख्य फोकस: WHO पारंपरिक चिकित्सा रणनीति 2025–2034 का समर्थन

भारत की पहल और योगदान

  • भारत ने WHO की नई TM रणनीति का स्वागत किया

  • आधुनिक और पारंपरिक चिकित्सा के समन्वय पर बल दिया

  • 2014–2023 की रणनीति के सफल कार्यान्वयन में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका को रेखांकित किया

WHO वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र (GTMC)

  • स्थापना वर्ष: 2022

  • स्थान: जामनगर, गुजरात

  • उद्घाटन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं WHO महानिदेशक डॉ. टेड्रोस द्वारा

  • कार्य: डेटा विश्लेषण, अनुसंधान, नीति सलाह, और मानक निर्धारण

महत्वपूर्ण उपलब्धि – ICHI मॉड्यूल

  • हस्ताक्षर तिथि: 24 मई 2025

  • समझौता: आयुष मंत्रालय और WHO के बीच

  • उद्देश्य: ICHI में पारंपरिक चिकित्सा मॉड्यूल बनाना

  • प्रधानमंत्री मोदी का दृष्टिकोण: यह आयुष प्रणाली को वैश्विक वैज्ञानिक मान्यता दिलाने में मदद करेगा

WHO की नई रणनीति के प्रमुख क्षेत्र

  • TM के लिए नियामक प्रणाली को सुदृढ़ करना

  • TM का उचित एकीकरण सुनिश्चित करना

  • जैव विविधता और पारंपरिक ज्ञान का सम्मान करना

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