भारत की ध्रुवीय और महासागरीय अनुसंधान क्षमताओं को सशक्त करने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए, केन्द्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने गोवा स्थित राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं महासागर अनुसंधान केंद्र (NCPOR) में दो विश्वस्तरीय परिसरों — सागर भवन और पोलर भवन — का उद्घाटन किया। यह पहल बदलते जलवायु परिदृश्यों और वैश्विक महासागर राजनीति के संदर्भ में भारत की वैज्ञानिक भूमिका को नई ऊंचाई देने वाली मानी जा रही है।
समाचार में क्यों?
यह उद्घाटन NCPOR की सिल्वर जुबली (25वीं वर्षगांठ) के अवसर पर हुआ। इसका उद्देश्य ध्रुवीय और समुद्री अनुसंधान के क्षेत्र में भारत के वैज्ञानिक ढांचे को मजबूती देना है। यह भारत की ब्लू इकोनॉमी, जलवायु परिवर्तन नियंत्रण, और विकसित भारत 2047 की रणनीति के साथ मेल खाता है।
मुख्य विशेषताएँ: नई सुविधाएँ
पोलर भवन
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NCPOR परिसर का सबसे बड़ा भवन (11,378 वर्ग मीटर)
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लागत: ₹55 करोड़
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सुविधाएं:
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अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं
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वैज्ञानिकों के लिए 55 आवासीय इकाइयाँ
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Science on Sphere (SOS) – जलवायु आंकड़ों का 3D विज़ुअलाइज़ेशन
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भारत का पहला ध्रुवीय और समुद्री संग्रहालय (आगामी)
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सागर भवन
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क्षेत्रफल: 1,772 वर्ग मीटर
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लागत: ₹13 करोड़
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सुविधाएं:
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-30°C तापमान पर बर्फ कोर भंडारण हेतु अत्यल्प ताप प्रयोगशालाएं
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Class 1000 क्लीन रूम – ट्रेस मेटल और आइसोटोप अध्ययन के लिए
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+4°C सैंपल संरक्षण यूनिट्स
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29 विशिष्ट अनुसंधान कक्ष
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पृष्ठभूमि और रणनीतिक महत्त्व
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NCPOR, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) के तहत भारत का प्रमुख ध्रुवीय एवं महासागर अनुसंधान संस्थान है।
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ये केंद्र सक्षम बनाएंगे:
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भारत की भूमिका को वैश्विक समुद्री शासन में बढ़ाने में
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मौसम और जलवायु परिवर्तन की निगरानी में
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ध्रुवीय क्षेत्रों में वैज्ञानिक सहयोग और खोज को प्रोत्साहित करने में
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नीतिगत और विधिक ढांचा
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भारतीय अंटार्कटिक अधिनियम, 2022
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आर्कटिक नीति, 2022
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ये भारत के ध्रुवीय अभियानों के लिए कानूनी और नैतिक ढांचा प्रदान करते हैं और अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को बनाए रखते हैं।
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भारत की ध्रुवीय उपस्थिति
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अंटार्कटिक अनुसंधान केंद्र: मैत्री, भारती
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आर्कटिक स्टेशन: हिमाद्रि
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हिमालयन स्टेशन: हिमांश
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हालिया अभियान: कनाडाई आर्कटिक, ग्रीनलैंड, केंद्रीय आर्कटिक महासागर