भारतीय नौसेना और बांग्लादेश नौसेना के बीच समन्वित गश्त (CORPAT) के 6वें संस्करण और द्विपक्षीय अभ्यास ‘BONGOSAGAR’ के 4वें संस्करण का आयोजन 10 मार्च 2025 से 12 मार्च 2025 तक किया जा रहा है। यह नौसैनिक अभ्यास बंगाल की खाड़ी में भारत-बांग्लादेश समुद्री सीमा के निकट निर्धारित समुद्री क्षेत्रों में आयोजित किए जा रहे हैं। ये अभ्यास कमांडर फ्लोटिला वेस्ट की देखरेख में आयोजित किए जा रहे हैं और इसका उद्देश्य समुद्री सुरक्षा को बढ़ाना, सहयोग को मजबूत करना और समुद्र में विभिन्न आपराधिक गतिविधियों से निपटना है।
भारत-बांग्लादेश नौसेना अभ्यास का महत्व
भारत और बांग्लादेश 2018 से संयुक्त नौसेना गश्त और अभ्यास कर रहे हैं, जिससे दोनों देशों के बीच मजबूत समुद्री संबंधों को दर्शाया गया है। इन अभ्यासों के माध्यम से क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने और साझा जलक्षेत्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में प्रगति हुई है। दोनों नौसेनाओं ने वर्षों में गुप्तचर जानकारी साझा करने, समन्वित समुद्री गश्त करने और परिचालन क्षमता को बढ़ाने की दक्षता विकसित की है।
CORPAT-25 और BONGOSAGAR-25 के प्रमुख उद्देश्य
- समुद्री सुरक्षा को बढ़ाना – अवैध मछली पकड़ने, तस्करी, मानव तस्करी, समुद्री डकैती और मादक पदार्थों की तस्करी जैसी आपराधिक गतिविधियों को रोकना।
- द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करना – संचार प्रणाली में सुधार, परिचालन समन्वय को बढ़ाना और एकीकृत नौसेना कार्यक्षमता विकसित करना।
- गुप्तचर और निगरानी डेटा साझा करना – समुद्री खतरों की पहचान कर, समन्वित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करना।
- रणनीतिक नौसेना अभ्यास – संचार ड्रिल, सामरिक युद्धाभ्यास, सतह पर बंदूक से फायरिंग और युद्धक्षमता में सुधार।
- समुद्री अर्थव्यवस्था का विकास – बंगाल की खाड़ी में आर्थिक गतिविधियों, शिपिंग और मत्स्य उद्योग की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
प्रमुख अभ्यास एवं गतिविधियां
- संयुक्त समुद्री गश्त – दोनों नौसेनाओं द्वारा अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (IMBL) पर संदिग्ध गतिविधियों की निगरानी।
- सामरिक और संचार अभ्यास – युद्धाभ्यास, संरचनात्मक नौसंचालन और संचार क्षमताओं का सुदृढ़ीकरण।
- सतह पर गोलीबारी अभ्यास – युद्धपोतों द्वारा लाइव फायरिंग के माध्यम से युद्ध कौशल और लक्ष्य भेदन क्षमता में सुधार।
- मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) अभ्यास – समुद्री आपदाओं के दौरान बचाव अभियानों का अभ्यास।
- तस्करी और समुद्री डकैती विरोधी अभियान – अवैध समुद्री गतिविधियों की पहचान और उनकी रोकथाम।
रणनीतिक महत्व
- भारत-बांग्लादेश रक्षा संबंधों को सुदृढ़ करना – इन नौसेना अभ्यासों के माध्यम से द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को और अधिक मजबूती मिलती है।
- क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा – बंगाल की खाड़ी दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक एवं रणनीतिक क्षेत्र है, जहां समुद्री सुरक्षा बढ़ाना आवश्यक है।
- इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता सुनिश्चित करना – बाहरी नौसैनिक ताकतों की बढ़ती उपस्थिति के बीच भारत और बांग्लादेश का सहयोग क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखने में सहायक होगा।
पहलू | विवरण |
क्यों चर्चा में? | भारतीय नौसेना और बांग्लादेश नौसेना के बीच 6वें समन्वित गश्त (CORPAT-25) और 4वें द्विपक्षीय नौसेना अभ्यास ‘BONGOSAGAR-25’ का आयोजन 10 मार्च 2025 से 12 मार्च 2025 तक बंगाल की खाड़ी में हो रहा है। |
पृष्ठभूमि | भारत और बांग्लादेश 2018 से संयुक्त नौसैनिक अभ्यास कर रहे हैं ताकि समुद्री सुरक्षा और संचालन क्षमता को बढ़ाया जा सके। |
पिछले संस्करण | – BONGOSAGAR-23 और CORPAT-23 का आयोजन 7-9 नवंबर 2023 को उत्तरी बंगाल की खाड़ी में हुआ। – इसमें संयुक्त गश्त, सामरिक अभ्यास और पहली बार मानवतावादी सहायता और आपदा राहत (HADR) अभ्यास शामिल थे। |
भाग लेने वाली नौसेनाएँ | बांग्लादेश नौसेना: BNS ABU UBAIDAH (युद्धपोत) और समुद्री गश्ती विमान। भारतीय नौसेना: INS RANVIR (युद्धपोत) और हेलीकॉप्टर। |
उद्देश्य | – अवैध मछली पकड़ने, तस्करी, समुद्री डकैती और मानव तस्करी को रोककर समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना। – द्विपक्षीय नौसैनिक सहयोग और कार्यक्षमता को मजबूत करना। – खुफिया जानकारी साझा करने और निगरानी अभियानों को अंजाम देना। – बंगाल की खाड़ी में समुद्री कानून प्रवर्तन और आर्थिक सुरक्षा को बढ़ावा देना। |
मुख्य गतिविधियाँ एवं अभ्यास | – संयुक्त समुद्री गश्त: अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (IMBL) पर निगरानी। – सामरिक और संचार अभ्यास: सामरिक युद्धाभ्यास, संरचनात्मक नौसंचालन और संचार प्रणाली में सुधार। – सतह पर गोलीबारी अभ्यास: युद्धपोतों द्वारा लाइव-फायर ड्रिल। – मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) अभ्यास: खोज और बचाव (SAR) अभियान। – तस्करी और समुद्री डकैती विरोधी अभियान: अवैध गतिविधियों को रोकने पर विशेष ध्यान। |
रणनीतिक महत्व | – भारत-बांग्लादेश रक्षा संबंधों को मजबूत करना: सैन्य सहयोग और आपसी विश्वास को बढ़ावा। – क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा में सुधार: अंतरराष्ट्रीय समुद्री अपराधों के खतरों को कम करना। – इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा: विदेशी नौसैनिक शक्तियों की बढ़ती उपस्थिति के बीच क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखना। |