द्विपक्षीय समुद्री सहयोग बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) और संयुक्त अरब अमीरात राष्ट्रीय गार्ड कमान ने नई दिल्ली में समुद्री सुरक्षा और संरक्षा सहयोग पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते का उद्देश्य क्षेत्र में एक सुरक्षित, संरक्षित और टिकाऊ समुद्री वातावरण सुनिश्चित करते हुए दोनों देशों के बीच संबंधों को मज़बूत करना है।
हाल ही में हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (MoU) का उद्देश्य भारत और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के बीच समुद्री खोज और बचाव (Maritime Search and Rescue – M-SAR) में सहयोग को बढ़ाना, अंतरराष्ट्रीय समुद्री अपराधों से निपटने के प्रयासों को मजबूत करना, समुद्री कानून प्रवर्तन (Maritime Law Enforcement – MLE) को सशक्त बनाना, समुद्री प्रदूषण प्रतिक्रिया (Marine Pollution Response – MPR) में बेहतर समन्वय स्थापित करना और प्रशिक्षण व संचालनात्मक सहयोग के माध्यम से संयुक्त क्षमता निर्माण करना है। भारतीय तटरक्षक बल ने इस बात पर जोर दिया कि ये पहल दोनों देशों की समुद्री सुरक्षा को लेकर साझा प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं और समुद्री क्षेत्र में संस्थागत संबंधों को प्रगाढ़ करने व सहयोगी प्रयासों को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।
यह समझौता ऐसे दसवें समझौतों में से एक है जिसे भारत ने मित्र विदेशी देशों (Friendly Foreign Countries – FFCs) की तटरक्षक एजेंसियों के साथ किया है। इन पेशेवर संबंधों के विस्तार के माध्यम से भारत समुद्री सुरक्षा साझेदारियों को मजबूत करता जा रहा है, ताकि समुद्री लूटपाट, तस्करी, अवैध मछली पकड़ना और पर्यावरणीय खतरों जैसी आधुनिक चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके।
यह समझौता भारत और यूएई के बीच 13वीं संयुक्त रक्षा सहयोग समिति (Joint Defence Cooperation Committee – JDCC) की बैठक के दौरान औपचारिक रूप से संपन्न हुआ। इस पर भारतीय तटरक्षक बल के महानिदेशक परमेश शिवमणि और यूएई तटरक्षक समूह के कमांडर ब्रिगेडियर स्टाफ खालिद ओबैद शाम्सी ने हस्ताक्षर किए। दोनों अधिकारियों ने क्षेत्रीय समुद्री स्थिरता बनाए रखने और वैश्विक समुद्री व्यापार मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपने-अपने देशों की प्रतिबद्धता को दोहराया, जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
हिन्द महासागर और अरब सागर वैश्विक व्यापार, ऊर्जा परिवहन और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिहाज़ से अत्यधिक महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं। इस समझौते के माध्यम से भारत और यूएई का उद्देश्य समुद्री डकैती, तस्करी और आतंकवाद जैसी समुद्री चुनौतियों को रोकना, व्यापारी जहाजों और मछली पकड़ने वाली नौकाओं की सुरक्षा के लिए सहयोग को बढ़ावा देना, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को प्रदूषण और पर्यावरणीय खतरों से सुरक्षित रखना, और क्षेत्र में दीर्घकालिक समुद्री शांति एवं स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत साझेदारी को विकसित करना है।
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