भारत ने रक्षा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है, जहां घरेलू रक्षा उत्पादन ₹1.27 लाख करोड़ के आंकड़े को पार कर गया है। यह उपलब्धि भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता और वैश्विक रक्षा निर्माण परिदृश्य में बढ़ते प्रभाव को दर्शाती है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यह घोषणा एयरो इंडिया 2025 शो से पहले की, जो कल बेंगलुरु में शुरू हो रहा है। यह एशिया का सबसे बड़ा एयरोस्पेस और रक्षा प्रदर्शनी कार्यक्रम है, जो न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं को प्रदर्शित करेगा, बल्कि अगली पीढ़ी को नवाचार और रक्षा क्षेत्र में योगदान देने के लिए प्रेरित भी करेगा।
एयरो इंडिया 2025 भारत को अपनी रक्षा उद्योग की शक्ति दिखाने के लिए एक प्रमुख वैश्विक मंच प्रदान करेगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस कार्यक्रम को मित्र देशों के साथ रक्षा साझेदारी को मजबूत करने और वैश्विक रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण बताया। यह आयोजन MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) और स्टार्टअप्स के लिए वैश्विक रक्षा आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनने का अवसर भी प्रदान करेगा।
इस वर्ष के एयरो इंडिया शो में भारी भागीदारी देखी जा रही है। 900 से अधिक प्रदर्शक, 90 देशों से प्रतिनिधित्व, और 70 से अधिक रक्षा कंपनियों के CEO इसमें शामिल हो रहे हैं। यह शो भारत की बढ़ती रक्षा क्षमताओं के प्रति वैश्विक रुचि को दर्शाता है।
इस वर्ष रक्षा मंत्रियों का सम्मेलन (Defence Ministers’ Conclave) एयरो इंडिया के प्रमुख आकर्षणों में से एक होगा, जिसमें 26 देशों के रक्षा मंत्री शामिल होंगे। इस सम्मेलन की थीम BRIDGE (Building Resilience through International Defence and Global Engagement) होगी, जो वैश्विक रक्षा सहयोग और सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए अंतरराष्ट्रीय साझेदारी की आवश्यकता को दर्शाती है।
इस कार्यक्रम के दौरान थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने एलसीए तेजस विमान में उड़ान भरी। यह भारत के स्वदेशी रक्षा विनिर्माण क्षेत्र की क्षमता और उन्नत सैन्य तकनीक के विकास को प्रदर्शित करता है।
भारत आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) पहल के तहत रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। ₹1.27 लाख करोड़ का आंकड़ा इसी प्रयास का प्रमाण है। सरकार ने मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) आकर्षित करने के लिए कई सुधार किए हैं। इस प्रयास का लक्ष्य भारत को एक प्रमुख वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र बनाना है और रक्षा आयात पर निर्भरता को कम करना है।
एयरो इंडिया 2025 केवल सैन्य हार्डवेयर का प्रदर्शन करने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह नवाचार और भविष्य की रक्षा तकनीकों को भी उजागर करेगा। यह शो वैश्विक रक्षा कंपनियों और भारतीय स्टार्टअप्स के बीच सहयोग को बढ़ावा देगा, जिससे नई तकनीकों के विकास और रक्षा क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा होंगे। यह आयोजन युवाओं को रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए भी प्रेरित करेगा।
निष्कर्ष: एयरो इंडिया 2025 भारत के बढ़ते रक्षा विनिर्माण और आत्मनिर्भरता का परिचायक है। यह न केवल भारत की वैश्विक रक्षा ताकत को दिखाने का अवसर प्रदान करेगा, बल्कि वैश्विक रक्षा सहयोग और साझेदारी को भी मजबूत करेगा।
पहलू | विवरण |
क्यों चर्चा में? | भारत ने रक्षा क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है, जहां घरेलू रक्षा उत्पादन ₹1.27 लाख करोड़ को पार कर गया है। यह घोषणा एयरो इंडिया 2025 के आयोजन से पहले बेंगलुरु में की गई। |
आयोजन का विवरण | एयरो इंडिया 2025 एशिया की सबसे बड़ी एयरोस्पेस और रक्षा प्रदर्शनी होगी, जो भारत की रक्षा क्षमताओं को प्रदर्शित करने और वैश्विक साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करेगी। |
मुख्य प्रतिभागी | 90 देशों से 900 से अधिक प्रदर्शक और 70 रक्षा कंपनियों के CEO इस आयोजन में भाग लेंगे, जिससे वैश्विक रक्षा नेटवर्किंग और सहयोग को बल मिलेगा। |
एयरो इंडिया 2025 की थीम | रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन की थीम BRIDGE (Building Resilience through International Defence and Global Engagement) होगी, जो अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर केंद्रित है। |
प्रदर्शित विमान | 70 से अधिक विमान प्रदर्शन में शामिल होंगे, जिनमें 30 विमान स्थिर (स्टेटिक डिस्प्ले) और बाकी हवाई प्रदर्शन (फ्लाइंग डिस्प्ले) में होंगे। उल्लेखनीय विमान – रूसी Su-57 और अमेरिकी F-35। |
एलसीए तेजस की प्रमुखता | एलसीए तेजस विमान को प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा, जिसमें थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह द्वारा उड़ान प्रदर्शन किया जाएगा। |
घरेलू रक्षा उत्पादन | भारत का रक्षा उत्पादन ₹1.27 लाख करोड़ के स्तर को पार कर चुका है, जो आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) जैसी पहलों और रक्षा आयात पर निर्भरता कम करने के प्रयासों से संभव हुआ है। |
नवाचार पर जोर | यह आयोजन वैमानिकी और रक्षा तकनीकों में नवाचार को प्रोत्साहित करेगा, साथ ही MSME और स्टार्टअप्स को वैश्विक रक्षा आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनने का अवसर प्रदान करेगा। |
भविष्य के लक्ष्य | भारत को वैश्विक रक्षा निर्माण केंद्र में बदलना, आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना, और युवाओं को रक्षा क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित करना इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य है। |
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