आयकर दिवस 2025

हर साल 24 जुलाई को मनाया जाने वाला आयकर दिवस भारत में 1860 में आयकर की ऐतिहासिक शुरुआत की याद दिलाता है, जिसे ब्रिटिश शासन के दौरान सर जेम्स विल्सन ने शुरू किया था। समय के साथ यह दिन केवल कर लगाए जाने की तारीख भर नहीं रहा, बल्कि यह अब भारत की राजकोषीय प्रगति, स्वैच्छिक अनुपालन और डिजिटल परिवर्तन का प्रतीक बन गया है। एक समय में केवल राजस्व वसूली का साधन माना जाने वाला आयकर अब आर्थिक आत्मनिर्भरता, पारदर्शिता और राष्ट्र निर्माण का प्रतीक बन गया है। सिविल सेवा और सरकारी परीक्षाओं की तैयारी करने वालों के लिए, आयकर दिवस का महत्व और इसका विकास भारत की कर प्रणाली, नीति सुधारों और डिजिटल शासन की समझ प्रदान करता है।

पृष्ठभूमि: उपनिवेश काल से आधुनिक कर प्रशासन तक

भारत में आयकर की शुरुआत 24 जुलाई 1860 को हुई, जब सर जेम्स विल्सन ने ब्रिटिश शासन के दौरान युद्ध खर्चों को पूरा करने के लिए यह व्यवस्था लागू की। इस प्रारंभिक कर प्रणाली ने भविष्य के कई सुधारों की नींव रखी। 1922 में आयकर अधिनियम लागू हुआ, जिसने कर ढांचे को औपचारिक रूप दिया और आयकर अधिकारियों की स्थापना की। इसके बाद 1924 में सेंट्रल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू अधिनियम के तहत एक वैधानिक निकाय की स्थापना की गई। 1981 में कंप्यूटरीकरण की शुरुआत ने भारत को डिजिटल शासन की ओर अग्रसर किया। वर्ष 2009 में शुरू हुआ केंद्रीकृत प्रसंस्करण केंद्र (CPC) एक क्रांतिकारी कदम था, जिसने आयकर रिटर्न की प्रोसेसिंग को अधिक कुशल, तेज और क्षेत्राधिकार-मुक्त बना दिया। यह यात्रा भारत की कर व्यवस्था में निरंतर विकास, टेक्नोलॉजिकल एकीकरण और करदाताओं के साथ सहभागिता को दर्शाती है।

राष्ट्र निर्माण में आयकर का महत्व
आयकर किसी भी आधुनिक राष्ट्र की आर्थिक रीढ़ होता है। भारत में इसका उपयोग:

  • शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा और बुनियादी ढांचे जैसी आवश्यक सेवाओं के वित्तपोषण में

  • संपत्ति के पुनर्वितरण में, जिससे आर्थिक असमानता घटती है

  • नागरिकों और सरकार के बीच विश्वास और उत्तरदायित्व बढ़ाने में

  • सार्वजनिक निवेश, रोज़गार सृजन और सामाजिक योजनाओं के समर्थन में

इस प्रकार, आयकर लोकतंत्र को मजबूत करने और समाज के हर कोने तक विकास पहुंचाने में अहम भूमिका निभाता है।

करदाता आधार और अनुपालन में वृद्धि
पिछले पाँच वर्षों में आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या में 36% की वृद्धि देखी गई है।
वित्त वर्ष 2020–21 में लगभग 6.72 करोड़ रिटर्न दाखिल हुए थे, जो 2024–25 में बढ़कर 9.19 करोड़ से अधिक हो गए। यह वृद्धि दर्शाती है:

  • करदाता आधार का विस्तार

  • कर जागरूकता में वृद्धि

  • स्वैच्छिक अनुपालन की प्रवृत्ति में मजबूती

पारदर्शिता और सरलता से युक्त कर प्रणाली के चलते यह जनविश्वास का संकेत है।

प्रत्यक्ष कर संग्रह में वृद्धि
भारत का सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह पिछले पाँच वर्षों में दोगुना से भी अधिक हो गया:

  • ₹12.31 लाख करोड़ (2020–21)

  • ₹16.34 लाख करोड़ (2021–22)

  • ₹19.72 लाख करोड़ (2022–23)

  • ₹23.38 लाख करोड़ (2023–24)

  • ₹27.02 लाख करोड़ (2024–25, अनंतिम आंकड़ा)

यह वृद्धि मजबूत अर्थव्यवस्था, कोविड के बाद पुनरुद्धार, और बेहतर संग्रह दक्षता को दर्शाती है।

डिजिटल परिवर्तन: सहज कर प्रणाली की ओर
आयकर विभाग की डिजिटल क्रांति शासन में एक उदाहरण बन चुकी है:

  • PAN (1972), कंप्यूटरीकरण (1981), CPC (2009), TRACES (2012)

  • TIN 2.0, जिसमें कई भुगतान विकल्प और रीयल-टाइम प्रोसेसिंग

  • AIS, TIS, और प्री-फिल्ड रिटर्न से त्रुटिरहित और सरल रिटर्न दाखिल करना संभव

  • Project Insight, जो डेटा एनालिटिक्स से 360° करदाता प्रोफाइल बनाता है

  • फेसलेस मूल्यांकन, जो मानवीय पक्षपात को खत्म कर दक्षता बढ़ाता है

  • e-वेरिफिकेशन और फीडबैक मैकेनिज्म, जो विश्वास आधारित अनुपालन को बढ़ावा देते हैं

NUDGE सिद्धांत: डेटा से व्यवहार में बदलाव
NUDGE (Non-Intrusive Usage of Data to Guide and Enable Taxpayers) सिद्धांत के तहत, करदाताओं को सौम्य ढंग से प्रेरित किया जाता है कि वे:

  • अपने रिटर्न की समीक्षा और अद्यतन करें

  • गड़बड़ियों का उत्तर दें

  • ईमानदारी से घोषणा करें

आयकर विभाग डेटा एनालिटिक्स और ज़मीनी खुफिया सूचनाओं से चोरी का पता लगाता है, लेकिन पहले विश्वास, बाद में जांच की नीति अपनाता है।

हालिया सुधार: बजट 2025–26 की मुख्य बातें

  • ₹12 लाख तक की आय पर कोई कर नहीं (नई कर व्यवस्था)

  • मानक कटौती ₹75,000 कर दी गई

  • TDS और TCS की सीमा बढ़ाई गई

  • अपडेटेड रिटर्न दाखिल करने की समयसीमा 2 से बढ़ाकर 4 साल

इन कदमों का उद्देश्य मध्यम वर्ग की खपत बढ़ाना, अनुपालन को प्रोत्साहित करना, और प्रक्रियाओं को सरल बनाना है।

आयकर दिवस का उत्सव: राष्ट्रीय आत्मचिंतन
आयकर दिवस केवल कर कानूनों की याद नहीं दिलाता, बल्कि यह उत्सव है:

  • भारत की कर प्रणाली के विकास का

  • प्रौद्योगिकी के एकीकरण का

  • कर अधिकारियों, नीति निर्माताओं और ईमानदार नागरिकों के योगदान का

यह दर्शाता है कि भारत ने पारदर्शी, समावेशी, और डिजिटली सक्षम कर व्यवस्था की दिशा में कितनी लंबी यात्रा तय की है।

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vikash

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