रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 24 सितंबर, 2024 को नई दिल्ली में 41वें भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) कमांडर सम्मेलन का उद्घाटन किया। यह तीन दिवसीय सम्मेलन उभरते भू-राजनीतिक परिदृश्य और समुद्री सुरक्षा की जटिलताओं की पृष्ठभूमि में आईसीजी कमांडरों के लिए रणनीतिक, परिचालन और प्रशासनिक मामलों पर सार्थक चर्चा में शामिल होने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करेगी।
तटरक्षक मुख्यालय में वरिष्ठ कमांडरों को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आईसीजी को भारत का अग्रणी गार्ड बताया, जो विशेष आर्थिक क्षेत्र की निरंतर निगरानी करते हुए देश की विशाल तटरेखा की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, और आतंकवाद तथा हथियारों, ड्रग्स और मनुष्यों की तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों की रोकथाम करता है। संकट के समय में आईसीजी जवानों ने जिस बहादुरी और समर्पण से राष्ट्र की सेवा की, उनकी सराहना करते हुए रक्षा मंत्री ने उन बहादुरों को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने पोरबंदर के पास हाल ही में एक ऑपरेशन में अपनी जान गंवा दी। राजनाथ सिंह ने आंतरिक आपदाओं से राष्ट्र की रक्षा करने में आईसीजी के योगदान को अद्वितीय बताया। उन्होंने चक्रवात मिचांग के बाद चेन्नई में तेल रिसाव के दौरान त्वरित प्रतिक्रिया की प्रशंसा की, जिसने क्षेत्र के तटीय परितंत्र को एक बड़ा नुकसान होने से बचा लिया।
आईसीजी को सबसे मजबूत तटरक्षक बलों में से एक बनाने के अपने दृष्टिकोण को साझा करते हुए, रक्षा मंत्री ने आज के अप्रत्याशित समय में पारंपरिक और उभरते खतरों से निपटने के लिए मानव-उन्मुख से प्रौद्योगिकी-उन्मुख बल बनने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने समुद्री सीमाओं पर अत्याधुनिक तकनीक के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह देश की सुरक्षा प्रणाली को और मजबूत करने के लिए एक बल गुणक के रूप में कार्य करता है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि दुनिया तकनीकी क्रांति के दौर से गुजर रही है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम टेक्नोलॉजी और ड्रोन के इस युग में, सुरक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल रहे हैं। वर्तमान भू-राजनीतिक स्थिति को देखते हुए, भविष्य में समुद्री खतरे बढ़ेंगे। हमें सतर्क और तैयार रहने की जरूरत है। तटरक्षक बलों में जनशक्ति का महत्व हमेशा रहेगा, लेकिन दुनिया को हमें प्रौद्योगिकी उन्मुख तटरक्षक बल के रूप में जानना चाहिए।
रक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सशस्त्र बलों और आईसीजी को स्वदेशी प्लेटफॉर्म और उपकरणों के साथ आधुनिक बनाने और मजबूत बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि आईसीजी के लिए 31 जहाज, जिनकी कीमत 4,000 करोड़ रुपये से अधिक है, भारतीय शिपयार्ड द्वारा बनाए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त, उन्होंने आईसीजी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए रक्षा अधिग्रहण परिषद की हालिया स्वीकृतियों पर प्रकाश डाला, जिसमें मल्टी-मिशन मैरीटाइम एयरक्राफ्ट, सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो, इंटरसेप्टर बोट्स, डोर्नियर एयरक्राफ्ट और अगली पीढ़ी के फास्ट पेट्रोल वेसल्स की खरीद शामिल है।
रक्षा मंत्री ने दिवंगत आईसीजी डीजी राकेश पाल को भी श्रद्धांजलि अर्पित की, जिनका हाल ही में चेन्नई में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। श्री सिंह ने पूर्व डीजी राकेश पाल को एक दयालु और सक्षम अधिकारी के रूप में वर्णित किया, जिनकी असामयिक मृत्यु एक अपूरणीय क्षति है।
सम्मेलन के दौरान, आईसीजी कमांडर वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों, जिनमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और नौसेना प्रमुख शामिल हैं, के साथ बातचीत करेंगे, जिससे समुद्री सुरक्षा के पूरे स्पेक्ट्रम में सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। चर्चाओं का उद्देश्य पिछले वर्ष के दौरान किए गए प्रमुख परिचालन, रसद और प्रशासनिक पहलों का मूल्यांकन करना है, जिसमें आईसीजी की परिचालन प्रभावशीलता को बढ़ाने और सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण के साथ संरेखण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
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