IIT Madras प्रवर्तक ने साइबर कमांडो के पहले बैच का प्रशिक्षण पूरा किया

बढ़ते साइबर अपराधों के खतरे के बीच, आईआईटी मद्रास प्रवर्तक टेक्नोलॉजीज फाउंडेशन ने 1 अप्रैल 2025 को साइबर कमांडोज़ के पहले बैच का प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया। इस विशेष पहल का उद्देश्य पूरे भारत में कानून प्रवर्तन अधिकारियों को उन्नत साइबर सुरक्षा तकनीकों से लैस करना है, ताकि वे तेजी से विकसित हो रहे डिजिटल खतरों से प्रभावी रूप से निपट सकें।

परिचय

साइबर खतरों की बढ़ती जटिलता और आवृत्ति को देखते हुए, कानून प्रवर्तन एजेंसियों में उच्च प्रशिक्षित साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की आवश्यकता बढ़ गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की पहल “साइबर कमांडो कार्यक्रम” का लक्ष्य भारत की साइबर सुरक्षा क्षमताओं को सशक्त बनाना है। इस कार्यक्रम के तहत आईआईटी मद्रास में पहले बैच के 37 कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा किया।

समापन समारोह और प्रमुख अधिकारी

1 अप्रैल 2025 को आईआईटी मद्रास परिसर में साइबर कमांडोज़ के पहले बैच के समापन समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कई प्रमुख हस्तियां मौजूद थीं:

  • डॉ. संदीप मित्तल, आईपीएस, एडीजीपी (साइबर क्राइम विंग), तमिलनाडु

  • डॉ. शंकर राम, सीईओ, आईआईटी मद्रास प्रवर्तक टेक्नोलॉजीज फाउंडेशन

  • बलमुरली शंकर, मुख्य ज्ञान अधिकारी, प्रवर्तक

  • प्रो. मंगला सुंदर, प्रमुख, डिजिटल स्किल्स अकादमी, आईआईटी मद्रास

  • आईपीएस रूपा एम, निदेशक, थ्रेट एनालिटिक्स यूनिट (TAU), I4C

साइबर कमांडो पहल का महत्व

साइबर कमांडोज़ कार्यक्रम पारंपरिक साइबर अपराध सेल से कहीं अधिक उन्नत है। यह केवल जांच और अभियोजन पर केंद्रित होने के बजाय एक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाता है, जिसमें शामिल हैं:

  • साइबर हमलों को रोकना
  • संवेदनशील राष्ट्रीय डेटा की सुरक्षा
  • भारत की डिजिटल संप्रभुता बनाए रखना

साइबर कमांडो प्रशिक्षण कार्यक्रम

इस छह महीने के आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में निम्नलिखित प्रमुख विषय शामिल थे:

मूलभूत साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण

  • कंप्यूटर और नेटवर्किंग की मूल बातें

  • ऑपरेटिंग सिस्टम और डेटाबेस का परिचय

उन्नत साइबर सुरक्षा तकनीक

  • नेटवर्क सुरक्षा और डिजिटल फॉरेंसिक्स

  • एथिकल हैकिंग और पेनिट्रेशन टेस्टिंग

  • साइबर थ्रेट इंटेलिजेंस और मैलवेयर विश्लेषण

  • आक्रामक रक्षा रणनीतियाँ

प्रायोगिक और व्यवहारिक प्रशिक्षण

  • लाइव साइबर अटैक सिमुलेशन (रेड-ब्लू टीम अभ्यास)

  • वास्तविक साइबर अपराध मामलों का अध्ययन

  • साइबर अपराध जांच से संबंधित कानूनी और नीति ढांचा

  • विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय अभ्यास

भविष्य की योजनाएँ और विस्तार

  • खुफिया एजेंसियों की भागीदारी – भविष्य में बैचों में खुफिया एजेंसियों के अधिकारी भी शामिल किए जाएंगे।
  • डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्म – I4C का डिजिटल प्लेटफॉर्म साइबर कमांडोज़ को विशिष्ट क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल करने में मदद करेगा।
  • रणनीतिक तैनाती – राज्य के पुलिस महानिदेशकों (DGPs) को साइबर कमांडोज़ को प्रासंगिक विभागों में नियुक्त करने के लिए कहा जाएगा, ताकि साइबर युद्ध और तकनीकी अपराधों की रोकथाम को बढ़ावा मिल सके।

इस पहल से भारत की साइबर सुरक्षा संरचना को सशक्त बनाने में बड़ी मदद मिलेगी और डिजिटल खतरों से निपटने में कानून प्रवर्तन एजेंसियों की क्षमताओं को नया आयाम मिलेगा।

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vikash

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