भारतीय प्रबंध संस्थान कोझिकोड (IIMK) ने प्रबंधन शिक्षा में नवाचार को बढ़ावा देने और ज्ञान के प्रसार को सशक्त बनाने के उद्देश्य से एक अग्रणी पहल की शुरुआत की है, जिसका नाम है “ज्ञानोदय – शिक्षण नवाचार और प्रकाशन केंद्र”। यह केंद्र शिक्षण के पारंपरिक ढांचे से आगे बढ़कर प्रबंधन शिक्षा में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की दिशा में कार्य कर रहा है।
पृष्ठभूमि:
ज्ञानोदय की स्थापना IIM कोझिकोड के “विजन 2047” के अंतर्गत की गई है, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के उद्देश्यों के अनुरूप है। यह केंद्र समसामयिक, समावेशी और वैश्विक स्तर पर प्रासंगिक शिक्षाशास्त्र (pedagogy) को बढ़ावा देने के लिए संस्थान की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
महत्त्व:
यह पहल केवल पारंपरिक प्रकाशन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य है कि ज्ञान कैसे निर्मित, साझा और सिखाया जाए, इसमें नवाचार लाया जाए। यह भारतीय ज्ञान परंपरा को वैश्विक शिक्षण पद्धतियों के साथ एकीकृत करने पर बल देता है। साथ ही, यह उत्कृष्ट शिक्षण, समावेशिता और स्थानीय ज्ञान की वैश्विक पहुँच को प्राथमिकता देता है।
उद्देश्य:
ज्ञानोदय के मुख्य उद्देश्य हैं:
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समीक्षित (peer-reviewed) शैक्षणिक सामग्री का विकास और प्रकाशन
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शिक्षण विधियों में सहयोगात्मक नवाचार को बढ़ावा देना
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छात्रों, लेखकों और संस्थानों के लिए लाभकारी पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करना
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वैश्विक शैक्षणिक शोध और आदान-प्रदान के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में कार्य करना
प्रमुख विशेषताएं:
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30 से अधिक मौलिक केस स्टडीज़, जिनमें विस्तृत शिक्षण टिप्पणियाँ (teaching notes) शामिल हैं
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IIMK के शिक्षकों द्वारा पुस्तकें और शोध-नोट्स का प्रकाशन
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तीन नवीन शिक्षण मॉडलों की शुरुआत
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“पांडुलिपि” नामक घरेलू पांडुलिपि मंच के माध्यम से संचालन, जो कठोर समीक्षात्मक प्रक्रिया सुनिश्चित करता है
प्रभाव:
ज्ञानोदय ने पहले ही अकादमिक सामग्री की गुणवत्ता में सुधार, स्थानीय दृष्टिकोण को बढ़ावा देने और संस्थानों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित कर एक सशक्त प्रभाव छोड़ना शुरू कर दिया है। यह पहल विशेष रूप से प्रबंधन शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षण परिदृश्य को परिवर्तित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।