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हिमाचल प्रदेश ने अज्ञात शवों के लिए डीएनए डेटाबेस बनाकर रचा इतिहास: जानिए क्यों है ये बड़ी उपलब्धि

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हिमाचल प्रदेश ने अज्ञात शवों के लिए विशेष रूप से एक डीएनए डेटाबेस स्थापित करने वाला भारत का पहला राज्य बनकर इतिहास रचा है। इस नवाचारी पहल को अप्रैल 2022 से शुरू किया गया था और हाल के समाचारों के अनुसार डेटाबेस में अज्ञात व्यक्तियों के 150 डीएनए सैंपल हैं।

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डीएनए डेटाबेस के बारे में अधिक जानकारी :

2022 में जुंगा में फोरेंसिक सेवाओं के निदेशालय ने अमेरिका से Smallpond TM सॉफ्टवेयर नामक डीएनए प्रोफाइल डेटाबेसिंग और मैचिंग प्रौद्योगिकी हासिल की। इसमें लगभग 55 लाख रुपये खर्च हुए। डेटाबेस वर्तमान में भरा जा रहा है और इसकी क्षमता लगभग 20,000 डीएनए प्रोफाइल है, जो आवश्यकतानुसार बढ़ाई जा सकती है।

डीएनए डेटाबेस का महत्व:

इस डेटाबेस के निर्माण से उन परिवारों के लिए एक महत्वपूर्ण विकास हुआ है जिनके अपनों की तलाश में अस्थिर हो गए हैं, जो अपने व्यक्तिगत फोटोग्राफ और अन्य जानकारी प्रदान करते हुए उनके स्थान की खोज में अधिक प्रयास कर रहे हैं। जंगा में फोरेंसिक सेवाओं के निदेशालय के सहायक निदेशक (डीएनए) विवेक सहजपाल ने मीडिया से कहा कि डीएनए डेटाबेस ऐसे मामलों में एक अत्यंत मददगार साबित होगा, जहां महत्वपूर्ण विवरणों की प्रदान करने से पहचान में मदद मिल सकती है।

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FAQs

हिमाचल प्रदेश की राजधानी क्या है ?

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला है।