ताइवान इन दिनों चीन से युद्ध की तैयारियों में जुटा हुआ है। इस बीच ताइवान को अमेरिका से 100 जमीन से लॉन्च होने वाले हार्पून एंटी शिप मिसाइलों का पहला बैच मिला है। हार्पून मिसाइल को रडार से आसानी से ट्रैक भी नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यह समुद्र की सतह के काफी करीब उड़ान भरती है। अमेरिका ने कई युद्धों और दूसरे सैन्य अभियानों में हार्पून मिसाइल का इस्तेमाल किया हुआ है। इसके अलावा दुनियाभर के दर्जनों देश आज भी इस मिसाइल के अलग-अलग वेरिएंट को अपनी नौसेना में शामिल किए हुए हैं।
यह shipment 2020 में हुई 71.02 बिलियन नए ताइवान डॉलर (2.22 बिलियन डॉलर) की डील का हिस्सा है, जिसमें अमेरिका ने ताइवान को 100 तट-स्थापित हारपून कोस्टल डिफेंस सिस्टम और संबंधित उपकरण प्रदान करने का वादा किया था। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने संबंधित सुविधाओं के निर्माण के लिए अतिरिक्त 15 बिलियन नए ताइवान डॉलर (469 मिलियन डॉलर) आवंटित किए हैं, जिससे कुल पैकेज 86.02 बिलियन नए ताइवान डॉलर (2.69 बिलियन डॉलर) हो गया।
2023 में, ताइवान और अमेरिकी अधिकारियों ने शस्त्रों की आपूर्ति की समयसीमा को तेजी से पूरा करने पर चर्चा की, जिसमें तीन वर्षों के भीतर हारपून मिसाइलों के आधे से अधिक और शेष 2029 के अंत तक प्राप्त करने का लक्ष्य था।
अमेरिका ने कुल 400 RGM-84L-4 हारपून ब्लॉक II सतह-लॉन्च मिसाइलों और चार RTM-84L-4 हारपून ब्लॉक II अभ्यास मिसाइलों की बिक्री को मंजूरी दी।
पहले चरण की डिलीवरी 2026 तक पूरी होने की उम्मीद है और इसे ताइवान की नई लिटोरल कॉम्बैट कमांड में एकीकृत किया जाएगा, जिसे उसी वर्ष स्थापित किया जाने की योजना है। दूसरे और अंतिम चरण की डिलीवरी 2028 तक होने की उम्मीद है।
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