एयरो इंडिया में, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को अपने स्वदेशी रूप से विकसित कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (सीवीआर) और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (एफडीआर) के लिए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) से भारतीय तकनीकी मानक आदेश (आईटीएसओ) प्राधिकरण प्राप्त हुआ है। सीवीआर और एफडीआर को ‘ब्लैक बॉक्स’ के नाम से जाना जाता है। हालांकि, एक विमान दुर्घटना के बाद उनकी रिकवरी में मदद करने के लिए इन रिकॉर्डर को नारंगी रंग में रंगा जाता है। CVR और FDR का उपयोग क्रैश प्रूफ मेमोरी में महत्वपूर्ण उड़ान मापदंडों और ऑडियो वातावरण को रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है जो बाद में विमान की घटना या दुर्घटना की जांच के लिए उपयोग किया जाता है।
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फ्लाइट के साथ हुई दुर्घटना का पता लगाने के लिए ब्लैक बॉक्स का उपयोग किया जाता है। ये असल में हवाई जहाज की उड़ान के दौरान उड़ान की सारी गतिविधियों को रिकॉर्ड करता है। इसी वजह से इसे फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर (FDR) भी कहते हैं। सुरक्षित रखने के लिए इसे सबसे मजबूत धातु टाइटेनियम से बनाया जाता है। साथ ही भीतर की तरफ इस तरह से सुरक्षित दीवारें बनी होती हैं कि कभी किसी दुर्घटना के होने पर भी ब्लैक बॉक्स सेफ रहे। ब्लैक बॉक्स को बनाने की कोशिश 1950 के शुरुआत दशक में होने लगी थी। तब विमानों की फ्रीक्वेंसी बढ़ने के साथ ही दुर्घटनाएं भी बढ़ने लगी थीं। साल 1954 में एरोनॉटिकल रिसर्चर डेविड वॉरेन ने इसका आविष्कार किया।
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