दीपोत्सव में अयोध्या ने एक बार फिर कीर्तिमान रचा है। 25.12 लाख दीप जलाकर विश्व रिकॉर्ड बनाया गया है। वहीं इस बार दीपोत्सव समाप्त होने के बाद राम की पैड़ी की सफाई व्यवस्था भी हर साल के मुकाबले बहुत ही बेहतर रही। नगर निगम की ओर से दीप जलाये जाने के बाद राम की पड़ी के घाटों की सफाई, दीया,बाती उठाने के लिए 1000 कर्मी लगाए गए थे।
दीप जलने के बाद लेजर शो, प्रोजेक्शन मेपिंग का देर रात जैसे ही समापन हुआ। रात 11:00 बजे से नगर निगम की ओर से लगाए गए सफाई कर्मियों ने सफाई का काम शुरू कर दिया। राम की पड़ी के सभी 55 घाटों पर पूरी रात सफाई का काम चला। जिसका प्रभाव यह रहा कि इस बार किसी भी घाट पर दिए बिखरे नहीं दिखाई पड़े, ना ही किसी भी घाट पर तेल पड़ा मिला।
अवसर
यह पर्व अयोध्या में मनाया जाता है, जो भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में आयोजित होता है।
विशेष महत्व
इस वर्ष का उत्सव खास महत्व रखता है क्योंकि यह राम लला की ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह के बाद का पहला दीपोत्सव है, जो अयोध्या मंदिर में आयोजित किया गया था।
रिकॉर्ड-ब्रेकिंग उपलब्धियाँ
अयोध्या ने दो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए हैं:
प्रमाणपत्र प्रस्तुति
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड प्रमाणपत्र प्राप्त किए, जिसमें केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक भी उपस्थित थे।
उत्सव की प्रमुख विशेषताएँ
संस्कृतिक और धार्मिक महत्व
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संबोधन
मुख्यमंत्री योगी ने संपूर्ण धर्म के पुनरुत्थान पर जोर देते हुए कहा, “अयोध्या चमक रही है, जो संपूर्ण धर्म के revival का प्रतीक है।” उन्होंने अयोध्या और काशी को भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण के उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने चेतावनी दी कि जो प्रगति का विरोध करेंगे, उन्हें परिणाम भुगतने होंगे, और राज्य की माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात की।
संपूर्ण धर्म में विश्वास
मुख्यमंत्री योगी ने आठ साल पहले की प्रारंभिक उत्सवों को याद किया, जब भीड़ ने राम मंदिर के निर्माण की मांग की थी। उन्होंने लोगों से भगवान राम के आशीर्वाद और संपूर्ण धर्म की स्थायी शक्ति पर विश्वास रखने की अपील की।
पर्यटन ऐप का शुभारंभ और पुस्तक विमोचन
संस्कृतिक प्रभाव
दीपोत्सव समारोह ने विश्वभर का ध्यान आकर्षित किया है, जिससे अयोध्या की छवि एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केंद्र के रूप में बढ़ी है। इस वर्ष का दीपोत्सव पारंपरिक रीति-रिवाजों को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़कर अयोध्या की विरासत को सुरक्षित रखने और नवाचार को अपनाने के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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