प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना को एक ऐतिहासिक पहल बताया है, जो हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region – IOR) में द्वीप को एक प्रमुख समुद्री और हवाई कनेक्टिविटी हब में बदल देगी। उन्होंने इसे “रणनीतिक, रक्षा और राष्ट्रीय महत्व” की परियोजना करार दिया और पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव का लेख साझा किया, जिसमें समेकित विकास योजना और पारिस्थितिक सुरक्षा उपायों का विवरण दिया गया है।
यह परियोजना विकसित भारत 2047 के विज़न के अनुरूप आर्थिक विकास और पारिस्थितिक संरक्षण दोनों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना बहु-विकास पहल है, जिसका उद्देश्य कनेक्टिविटी, बुनियादी ढांचे और समुद्री सुरक्षा को सुदृढ़ करना है।
अंतर्राष्ट्रीय कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल (ICTT): 14.2 मिलियन TEU क्षमता, एशिया के सबसे बड़े टर्मिनलों में से एक।
ग्रीनफ़ील्ड अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा: नागरिक और सैन्य, दोनों उपयोगों के लिए।
विद्युत संयंत्र: 450 MVA गैस और सौर ऊर्जा आधारित पावर प्रोजेक्ट।
टाउनशिप विकास: 16,610 हेक्टेयर क्षेत्र में आबादी और आर्थिक गतिविधि के लिए।
कुल लागत: ₹72,000 करोड़
समयावधि: 30 वर्षों में चरणबद्ध तरीके से कार्यान्वयन।
चीन की बढ़ती समुद्री मौजूदगी का संतुलन करने की क्षमता।
अवैध गतिविधियों की रोकथाम, जैसे शिकार और अंतरराष्ट्रीय समुद्री अपराध।
भौगोलिक लाभ: इंदिरा प्वाइंट से केवल 150 किमी दूर इंडोनेशिया के नजदीक, जिससे मलक्का जलडमरूमध्य–हिंद महासागर क्षेत्र पर नज़र रखने का सामरिक दृष्टिकोण।
वन क्षेत्र: 13,075 हेक्टेयर (लगभग 15% द्वीप) का विचलन, 9.64 लाख पेड़ कटने का अनुमान।
वन्यजीव प्रभाव: लेदरबैक समुद्री कछुए जैसी संकटग्रस्त प्रजातियाँ।
जनजातियाँ:
शोमपेन जनजाति – लगभग 237 सदस्य
निकोबारी जनजाति – लगभग 1,094 सदस्य
कुल 751 वर्ग किमी आरक्षित क्षेत्र में से 84 वर्ग किमी का डीनोटिफिकेशन।
भूकंपीय जोखिम: द्वीप उच्च भूकंपीय क्षेत्र में है, 2004 की सुनामी (9.2 तीव्रता) से भारी तबाही हुई थी।
भूकंप-रोधी निर्माण (National Building Code के अनुसार)।
नवीकरणीय ऊर्जा (सौर ऊर्जा का एकीकरण)।
जनजातीय और जैव विविधता संरक्षण के लिए विशेष ज़ोन।
ईको-संवेदनशील योजना ताकि नाज़ुक पारिस्थितिकी तंत्र पर न्यूनतम प्रभाव पड़े।
सरकार का मानना है कि यह परियोजना “अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी एक-दूसरे की पूरक हैं” का उदाहरण होगी।
परियोजना का नाम: ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना
उल्लेख किया गया: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (12 सितम्बर 2025 को)
लेख: भूपेन्द्र यादव (पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री)
लागत: ₹72,000 करोड़
अवधि: 30 वर्षों में चरणबद्ध विकास
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