कामकाजी महिलाओं को सशक्त बनाने और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारत सरकार ने मिशन शक्ति के “समर्थ्य” उप-अंतर्गत “पालना योजना” का विस्तार करने की घोषणा की है। यह योजना 1 अप्रैल 2022 को शुरू की गई थी और इसका उद्देश्य 6 महीने से 6 साल तक के बच्चों के लिए डे-केयर और क्रेच सुविधाएं प्रदान कर बाल देखभाल की खाई को पाटना है। यह सेवा देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में उपलब्ध कराई जा रही है। भारत में महिला कार्यबल भागीदारी में निरंतर वृद्धि को देखते हुए यह पहल समयानुकूल और अत्यंत आवश्यक मानी जा रही है।
जैसे-जैसे भारत सामाजिक-आर्थिक रूप से प्रगति कर रहा है, सरकारी शिक्षा और कौशल विकास पहलों के चलते अधिक महिलाएं कार्यबल में शामिल हो रही हैं। हालांकि, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में संयुक्त परिवार प्रणाली के विघटन ने बाल देखभाल में एक बड़ा अंतर उत्पन्न कर दिया है। गुणवत्तापूर्ण क्रेच सेवाओं की कमी खासकर असंगठित क्षेत्र की महिलाओं के लिए स्थिर रोजगार हासिल करने में बड़ी बाधा बन गई है। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने “पालना योजना” की शुरुआत एक समर्पित समाधान के रूप में की।
पालना योजना के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
6 महीने से 6 वर्ष तक के छोटे बच्चों के लिए सुरक्षित और सुलभ डे-लॉन्ग देखभाल प्रदान करना।
कामकाजी माताओं को उनके कार्य समय के दौरान बच्चों की देखभाल की चिंता से राहत देना।
प्रारंभिक बाल्यकाल देखभाल को बढ़ावा देना, जिसमें पोषण, टीकाकरण, संज्ञानात्मक विकास और स्वास्थ्य जांच शामिल हैं।
अवैतनिक देखभाल कार्य को घटाकर लैंगिक समानता और महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करना।
एकीकृत आंगनवाड़ी-कम-क्रेच (AWCCs): यह योजना मौजूदा आंगनवाड़ी प्रणाली के साथ एकीकृत होकर कार्य करती है, जिससे स्थानीय स्तर पर प्रभावी सेवा वितरण सुनिश्चित होता है।
सार्वभौमिक पहुंच: यह सेवा सभी माताओं के लिए खुली है, चाहे वे नियोजित हों या नहीं।
समग्र बाल देखभाल: ये केंद्र केवल देखरेख तक सीमित नहीं, बल्कि पोषण, स्वास्थ्य निगरानी और संज्ञानात्मक विकास जैसी सुविधाएं भी प्रदान करते हैं।
एसडीजी के साथ संरेखण: यह योजना सतत विकास लक्ष्य 8 (श्रम के लिए गरिमा और आर्थिक वृद्धि) को समर्थन देती है।
15वें वित्त आयोग चक्र (वित्त वर्ष 2025–26 तक) के अंतर्गत:
लक्ष्य: देशभर में 17,000 AWCCs स्थापित करने का लक्ष्य।
वर्तमान स्थिति: राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रस्तावों के आधार पर अब तक 14,599 केंद्रों को स्वीकृति मिल चुकी है।
वित्तीय व्यवस्था: राज्य और केंद्रशासित प्रदेश इस योजना को सह-वित्तपोषित करते हैं और केंद्र से स्वीकृति के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत करते हैं।
इस संबंध में हाल ही में राज्यसभा में महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती सवित्री ठाकुर द्वारा अद्यतन जानकारी साझा की गई।
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