केंद्र सरकार शुरू करने जा रही ‘सहकार टैक्सी’, जानें सबकुछ

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने ‘सहकार’ नामक एक नए ऐप-आधारित टैक्सी सेवा की घोषणा की, जो ओला और उबर की तर्ज पर काम करेगी, लेकिन इसे सहकारी ढांचे के तहत संचालित किया जाएगा। यह घोषणा संसद में बहु-राज्य सहकारी समितियाँ (संशोधन) विधेयक, 2023 पर चर्चा के दौरान की गई, जिसमें एक राष्ट्रीय सहकारी विश्वविद्यालय स्थापित करने का भी प्रावधान है।

‘सहकार’ टैक्सी सेवा का परिचय

‘सहकार’ टैक्सी सेवा सरकार समर्थित पहल है, जिसका उद्देश्य ड्राइवरों को केवल सेवा प्रदाता के बजाय हिस्सेदार बनाना है। ओला और उबर जैसी निजी कंपनियों के विपरीत, ‘सहकार’ एक सहकारी संगठन के रूप में कार्य करेगी, जिससे ड्राइवरों को उचित आय और मुनाफे में भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।

यह पहल ‘सहकार से समृद्धि’ मिशन के तहत लाई गई है और सहकारी क्षेत्र में सुधार के साथ-साथ निजी टैक्सी सेवाओं की अनुचित मूल्य निर्धारण रणनीतियों से निपटने का प्रयास है।

ड्राइवरों और सहकारी संस्थाओं को सशक्त बनाना

‘सहकार’ टैक्सी सेवा की प्रमुख विशेषताएँ

  • ड्राइवर-स्वामित्व मॉडल: अन्य निजी टैक्सी कंपनियों के विपरीत, ‘सहकार’ में मुनाफे का लाभ ड्राइवरों को भी मिलेगा, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी।

  • पारदर्शी किराया प्रणाली: यह सेवा सामान्य और निष्पक्ष किराया प्रणाली अपनाएगी, जिससे ओला और उबर जैसी कंपनियों के भेदभावपूर्ण मूल्य निर्धारण से राहत मिलेगी।

  • सरकारी समर्थन: इस पहल को सहकारिता मंत्रालय का समर्थन प्राप्त है, जो पिछले साढ़े तीन वर्षों से सहकारी सेवाओं के विस्तार पर कार्य कर रहा है।

  • चयनित शहरों में पायलट लॉन्च: राष्ट्रीय स्तर पर शुरू होने से पहले, यह सेवा कुछ प्रमुख शहरों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की जाएगी।

‘सहकार’ की घोषणा अभी क्यों की गई?

हाल ही में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने ओला और उबर को भेदभावपूर्ण मूल्य निर्धारण के आरोपों पर नोटिस जारी किया था। रिपोर्ट्स के अनुसार, इन कंपनियों के किराए एंड्रॉइड और आईफोन उपयोगकर्ताओं के लिए अलग-अलग होते थे, जिससे अनुचित व्यापार व्यवहार की चिंताएँ बढ़ गईं। इन समस्याओं को देखते हुए, सरकार ने सहकारी मॉडल पर आधारित एक नया टैक्सी प्लेटफॉर्म पेश करने का निर्णय लिया।

राष्ट्रीय सहकारी विश्वविद्यालय: सहकारी आंदोलन को सशक्त बनाना

बहु-राज्य सहकारी समितियाँ (संशोधन) विधेयक, 2023 में राष्ट्रीय सहकारी विश्वविद्यालय स्थापित करने का भी प्रावधान है, जिसका उद्देश्य सहकारी क्षेत्र को मजबूत करना है।

विश्वविद्यालय के प्रमुख उद्देश्य

  • सहकारी प्रबंधन में शिक्षा, डिप्लोमा और प्रमाणपत्र प्रदान करना।

  • युवा पेशेवरों को सहकारी शासन और वित्तीय प्रबंधन में प्रशिक्षित करना।

  • भविष्य के सहकारी नेताओं को विकसित करना, जिससे किसान, छोटे उद्यमी और सहकारी व्यवसायों से जुड़े श्रमिकों को लाभ मिलेगा।

अमित शाह ने इस विश्वविद्यालय को सहकारी संस्थानों की नींव मजबूत करने का महत्वपूर्ण कदम बताया।

‘सहकार’ टैक्सी सेवा का भविष्य और कार्यान्वयन

हालांकि आधिकारिक समय-सीमा घोषित नहीं की गई है, लेकिन सरकार जल्द ही इस सेवा को प्रमुख महानगरों में पायलट आधार पर शुरू कर सकती है। इसे ‘सहकार से समृद्धि’ मिशन के तहत एक प्रमुख पहल के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा, जिसका उद्देश्य सहकारी मॉडल के माध्यम से स्थायी आर्थिक अवसरों का सृजन करना है।

सरकार ड्राइवरों को सहकारी संगठन से जोड़ने के लिए प्रोत्साहन योजनाएँ भी पेश कर सकती है और एक तकनीक-आधारित, उपयोगकर्ता-अनुकूल ऐप विकसित करेगी ताकि सेवा को सुचारू रूप से संचालित किया जा सके।

पहल विवरण
क्यों चर्चा में? सरकार ने सहकारी मॉडल के तहत ‘सहकार’ टैक्सी सेवा की घोषणा की
घोषणा करने वाले अमित शाह, केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री
उद्देश्य ओला और उबर का एक निष्पक्ष और सहकारी-आधारित विकल्प प्रदान करना
प्रमुख विशेषताएँ ड्राइवर-स्वामित्व मॉडल, मुनाफा साझा करना, पारदर्शी मूल्य निर्धारण, सरकारी समर्थन प्राप्त पहल
घोषणा का कारण ओला और उबर की मूल्य निर्धारण नीतियों और उपभोक्ता शिकायतों को लेकर बढ़ती चिंताएँ
सरकारी पहल ‘सहकार से समृद्धि’ मिशन के तहत सहकारी व्यवसायों को बढ़ावा देना
संभावित क्रियान्वयन कुछ शहरों में पायलट लॉन्च, फिर राष्ट्रीय विस्तार
संबंधित विकास बहु-राज्य सहकारी समितियाँ (संशोधन) विधेयक, 2023, जो एक राष्ट्रीय सहकारी विश्वविद्यालय का भी प्रस्ताव रखता है
विश्वविद्यालय की भूमिका सहकारी प्रबंधन में प्रशिक्षण, डिप्लोमा और डिग्री प्रदान करना

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vikash

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