Categories: Imp. days

सुशासन दिवस 2023: इतिहास और महत्व

हर साल 25 दिसंबर को पूरे भारत में सुशासन दिवस मनाया जाता है। असल में 25 दिसंबर को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिवस के अवसर पर उन्हें सम्मानित करने के लिए सुशासन दिवस के रूप में घोषित किया गया था। जिसके बाद से 25 दिसंबर को सुशासन दिवस मनाया जाता है। सुशासन दिवस के अवसर पर पूरे दिन काम किया जाता है।

सुशासन दिवस: इतिहास

 

सुशासन दिवस को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के अवसर पर साल 2014 में भारतीय जनता पार्टी बीजेपी के द्वारा हर साल भारत में सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाने के लिए घोषणा की गई थी। अटल बिहारी वाजपेयी के जयंती के अवसर पर सुशासन दिवस मनाना भारतीय लोगों के लिए बहुत सम्मान की बात है।

 

सुशासन दिवस मनाने का कारण

 

सुशासन दिवस की घोषणा ई- गवर्नेंस के माध्यम से सुशासन के आधार पर की गयी है। यह एक ऐसा कार्यक्रम है जो सभी सरकारी अधिकारियों को बैठक एवं संचार के लिए इनवाइट करने के बाद मुख्य समारोह में शामिल होकर मनाया जाता है। सुशासन दिवस 1 दिन की लंबी प्रदर्शनी का आयोजन करके और सरकारी अधिकारियों को भाग लेने के साथ ही गवर्नमेंट्स एवं प्रदर्शनी के बारे में कुछ सुझाव देने के लिए इनवाइट करने के लिए मनाया जाता है। संयोग से भारत में सुशासन दिवस 25 दिसंबर को क्रिसमस के अवसर पर पर मिलती है। सुशासन दिवस के अवसर पर पूरे दिन काम करने की घोषणा की गई है। यह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के 90 वें जन्मदिवस के दौरान इस बात की घोषणा की गई थी।

 

सुशासन दिवस मनाने का उद्देश्य क्या है?

 

अटल बिहारी वाजपेई की जयंती के अवसर पर सुशासन दिवस कई मायनों में महत्वपूर्ण है। इस दिन को सुशासन दिवस के रुप में बहुत से उद्देश्य की प्राप्ति के लिए घोषित किया गया था। सुशासन दिवस के अवसर पर एक ट्रांसपेरेंट एवं जवाबदेही प्रशासन लाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता के बारे में लोगों के बीच अवेयरनेस बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। यह भारत में आम नागरिकों के कल्याण एवं भलाई को बढ़ाने के लिए सुशासन दिवस मनाया जाता है। सरकार के कामकाज के मानकीकरण के साथ ही भारतीय लोगों के लिए एक अत्यधिक प्रभावी एवं जवाबदेही शासन के लिए मनाया जाता है।

 

अटल बिहारी वाजपेयी

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को ग्वालियर (अब मध्य प्रदेश का एक हिस्सा) में हुआ था। उन्होंने वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश किया जिसने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन का अंत कर दिया।

साल 1947 में वाजपेयी ने दीनदयाल उपाध्याय के समाचार पत्रों के लिये एक पत्रकार के रूप में राष्ट्रधर्म (एक हिंदी मासिक), पांचजन्य (एक हिंदी साप्ताहिक) और दैनिक समाचार पत्रों-स्वदेश और वीर अर्जुन में काम करना शुरू किया। बाद में श्यामा प्रसाद मुखर्जी से प्रभावित होकर वाजपेयी जी वर्ष 1951 में भारतीय जनसंघ में शामिल हो गए। वह भारत के पूर्व प्रधानमंत्री थे और वर्ष 1996 तथा 1999 में दो बार इस पद के लिये चुने गए थे।

 

[wp-faq-schema title="FAQs" accordion=1]
vikash

Recent Posts

अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस 2024, तिथि, इतिहास और महत्व

सहिष्णुता का अंतर्राष्ट्रीय दिवस हर साल 16 नवंबर को मनाया जाता है। इस दिन का…

2 days ago

मनोज बाजपेयी की ‘द फैबल’ ने लीड्स इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में जीत हासिल की

मनोज बाजपेयी की बहुचर्चित फिल्म "द फेबल" ने 38वें लीड्स इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ…

2 days ago

कांग्रेस से खुफिया तक राष्ट्रीय खुफिया के लिए तुलसी गबार्ड की नई भूमिका

पूर्व डेमोक्रेटिक कांग्रेसवुमन तुलसी गबार्ड को 13 नवंबर, 2024 को अमेरिका के राष्ट्रपति-निर्वाचित डोनाल्ड ट्रंप…

2 days ago

हैदराबाद हवाई अड्डे को डिजिटल नवाचारों के लिए वैश्विक मान्यता मिली

जीएमआर हैदराबाद अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा लिमिटेड (GHIAL) ने सऊदी एयरपोर्ट प्रदर्शनी 2024 के दौरान आयोजित प्रतिष्ठित…

2 days ago

प्रधानमंत्री मोदी ने शांति और प्रगति का जश्न मनाते हुए प्रथम बोडोलैंड महोत्सव का उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में आयोजित पहले बोडोलैंड महोत्सव का उद्घाटन किया। यह दो…

2 days ago

शंघाई, टोक्यो, न्यूयॉर्क और ह्यूस्टन ग्रीनहाउस गैसों के प्रमुख उत्सर्जक

संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में जारी एक नए डेटा के अनुसार, एशिया और अमेरिका के…

2 days ago