घड़ियाल (Gavialis gangeticus) लंबे थूथन वाले मगरमच्छ प्रजाति के एक अनोखे जीव हैं, जो अपने मछली-आधारित आहार और विशिष्ट आकार के कारण अन्य मगरमच्छों से अलग होते हैं। हालांकि, इनका अस्तित्व खतरे में है, क्योंकि इनके प्राकृतिक आवास का विनाश, जल प्रदूषण और मछली पकड़ने की गतिविधियाँ इनकी संख्या में गिरावट का मुख्य कारण बनी हुई हैं। भारत में 80% से अधिक घड़ियाल मध्य प्रदेश में पाए जाते हैं, और हाल ही में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने चंबल नदी में 10 घड़ियाल छोड़कर राज्य की संरक्षण प्रतिबद्धता को और मजबूत किया।
घड़ियाल क्या हैं?
घड़ियाल मुख्य रूप से मछलियाँ खाने वाले मगरमच्छ हैं, जिनका लंबा और संकरा थूथन मछली पकड़ने के लिए अनुकूलित होता है। इनका नाम ‘घड़ियाल’ हिंदी शब्द ‘घड़ा’ से लिया गया है, जो नर घड़ियालों की नाक के सिरे पर पाए जाने वाले घड़े जैसे उभार को दर्शाता है।
- नर घड़ियाल 3 से 6 मीटर तक बढ़ सकते हैं, जबकि मादा का आकार 2.6 से 4.5 मीटर तक होता है।
- भारतीय पौराणिक कथाओं में इनका विशेष महत्व है और इन्हें देवी गंगा से जोड़ा जाता है।
- ये नदी पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि यह कैरियन (सड़ती हुई मछलियों) को खाते हैं और जल निकायों को स्वच्छ रखते हैं।
घड़ियाल विलुप्त होने के कगार पर क्यों हैं?
ऐतिहासिक खतरे
- चमड़े, ट्रॉफी और पारंपरिक औषधियों के लिए अत्यधिक शिकार।
- व्यापार और भोजन के लिए अंडों का अवैध संग्रह।
आधुनिक खतरे
- आवास विनाश: बांध निर्माण, तटबंध, सिंचाई नहरें और नदी के मार्ग में बदलाव से इनके प्राकृतिक आवास प्रभावित होते हैं।
- अवैध रेत खनन: रेत खनन से घड़ियालों के घोंसले बनाने के स्थान कम होते हैं और प्राकृतिक आवास नष्ट होते हैं।
- प्रदूषण: औद्योगिक और कृषि कचरे के कारण नदियाँ दूषित हो रही हैं।
- मछली पकड़ने के जाल: गिल जाल में घड़ियाल फंस जाते हैं, जिससे कई बार उनकी मौत हो जाती है, भले ही वे संरक्षित क्षेत्रों में ही क्यों न हों।
- नदी प्रवाह में गिरावट: जलवायु परिवर्तन और अत्यधिक जल दोहन के कारण नदी के जल स्तर में कमी आ रही है।
मध्य प्रदेश में घड़ियाल संरक्षण की पहल
चंबल नदी: एक महत्वपूर्ण घड़ियाल आवास
- भारत के 80% से अधिक घड़ियाल चंबल नदी में पाए जाते हैं।
- राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य (NCS): यह 435 किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है और भारत की सबसे स्वच्छ नदियों में से एक की रक्षा करता है।
- यह 290 से अधिक पक्षी प्रजातियों का भी घर है, जिसमें संकटग्रस्त भारतीय स्किमर भी शामिल है।
हालिया संरक्षण प्रयास
- मुख्यमंत्री मोहन यादव ने 17 फरवरी 2025 को चंबल नदी में 10 घड़ियाल (9 नर, 1 मादा) छोड़े।
- 2024 जनगणना के अनुसार, मध्य प्रदेश के चंबल अभयारण्य में 2,456 घड़ियाल दर्ज किए गए।
- नदी संरक्षण, रेत तटों का पुनर्स्थापन और समुदाय की भागीदारी इस प्रयास की प्रमुख रणनीतियाँ हैं।
कैप्टिव ब्रीडिंग और पुनर्वास कार्यक्रम
- 1975 से 1982 के बीच भारत में 16 प्रजनन और पुनर्वासन केंद्र और 5 घड़ियाल अभयारण्य स्थापित किए गए।
- मध्य प्रदेश का देवरी घड़ियाल केंद्र सफलतापूर्वक घड़ियालों को पंजाब की नदियों में फिर से छोड़ चुका है।
- 2017: पहला बैच पंजाब भेजा गया।
- 2018: 25 घड़ियाल सतलुज नदी में छोड़े गए।
निष्कर्ष
मध्य प्रदेश घड़ियाल संरक्षण में भारत का अग्रणी राज्य बन चुका है। चंबल नदी जैसे सुरक्षित आवासों के संरक्षण, कैप्टिव ब्रीडिंग और पुनर्वास प्रयासों के कारण घड़ियालों की संख्या में धीरे-धीरे वृद्धि हो रही है। हालाँकि, अवैध रेत खनन, जल प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं। सतत संरक्षण प्रयासों और समुदाय की भागीदारी से घड़ियालों की इस संकटग्रस्त प्रजाति को विलुप्त होने से बचाया जा सकता है।
सारांश/स्थिर जानकारी | विवरण |
क्यों चर्चा में? | घड़ियाल संरक्षण: वे क्यों संकटग्रस्त हैं और मध्य प्रदेश कैसे कर रहा है नेतृत्व |
प्रजाति का नाम | Gavialis gangeticus (घड़ियाल) |
आवास | स्वच्छ मीठे पानी की नदियाँ (मुख्य रूप से चंबल, गंगा) |
मुख्य जनसंख्या | भारत के 80% से अधिक घड़ियाल मध्य प्रदेश में पाए जाते हैं |
खतरे | आवास विनाश, रेत खनन, प्रदूषण, मछली पकड़ने के जाल, नदी प्रवाह में गिरावट |
संरक्षण प्रयास | कैप्टिव ब्रीडिंग, नदी संरक्षण, समुदाय की भागीदारी, रेत तटों का पुनर्स्थापन |
मुख्य अभयारण्य | राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य (435 किमी) |
हालिया पुनर्वास | मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा 10 घड़ियाल चंबल नदी में छोड़े गए (फरवरी 2025) |
जनसंख्या वृद्धि | 2024 जनगणना: चंबल अभयारण्य में 2,456 घड़ियाल दर्ज |
अंतर्राज्यीय संरक्षण | पंजाब की सतलुज और ब्यास नदियों में घड़ियाल पुन: स्थापित |