सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) ने 2016 में शुरुआत के बाद से अब तक कुल ₹15 लाख करोड़ का संचयी सकल वस्तु मूल्य (GMV) पार कर लिया है। यह उपलब्धि भारत की पारदर्शी, दक्ष और समावेशी सार्वजनिक खरीद व्यवस्था की दिशा में बड़ी छलांग है। पिछले नौ वर्षों में GeM एक ऐसा डिजिटल मंच बन चुका है जो सरकारी विभागों को सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों (MSEs), स्टार्टअप्स, महिला-नेतृत्व वाले व्यवसायों, अनुसूचित जाति/जनजाति आधारित उद्यमों और स्वयं सहायता समूहों (SHGs) से जोड़ता है।
GeM की शुरुआत सरकारी विभागों की खरीद प्रक्रिया को तेज़, पारदर्शी और किफायती बनाने के उद्देश्य से की गई थी। आज इसकी सफलता इस बात का प्रमाण है कि इसे केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, सार्वजनिक उपक्रमों और स्वायत्त निकायों ने बड़े पैमाने पर अपनाया है और छोटे व गैर-पारंपरिक विक्रेताओं की भागीदारी भी बढ़ी है।
GeM के सीईओ श्री मिहिर कुमार ने कहा कि ₹15 लाख करोड़ GMV हासिल करना हितधारकों के विश्वास और मंच की समावेशी व नवाचार-आधारित सोच का प्रमाण है।
पारदर्शी तंत्र – हर लेन-देन डिजिटल रूप से दर्ज होता है, जिससे जवाबदेही और ऑडिट सुनिश्चित होती है।
समावेशिता – GeM ने उन समूहों को सरकारी खरीद में अवसर दिए जो पहले वंचित थे:
सूक्ष्म एवं लघु उद्यम (MSEs)
स्टार्टअप्स
महिला उद्यमी
एससी/एसटी आधारित व्यवसाय
स्वयं सहायता समूह (SHGs)
सरल प्रक्रियाएँ – आसान पंजीकरण, कैटलॉगिंग और ऑर्डर प्रबंधन ने प्रवेश बाधाएँ काफी कम कीं।
नीति व प्रौद्योगिकी का एकीकरण – GeM ने डिजिटल इंडिया और विकसित भारत के विज़न के अनुरूप नीतिगत सुधारों को तकनीकी समाधानों के साथ जोड़ा।
विक्रेताओं का व्यापक आधार – देशभर के लाखों विक्रेता अब सीधे सरकारी खरीदारों से जुड़ पा रहे हैं, जिससे बिचौलियों पर निर्भरता कम हुई है।
लघु उद्यमों को सशक्त बनाना – MSEs GeM पर निष्पादित ऑर्डरों का बड़ा हिस्सा पूरा करते हैं, जिससे रोजगार और स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा मिला है।
सरकार के लिए लागत दक्षता – प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण और पारदर्शी बोली प्रक्रिया ने सार्वजनिक व्यय का अनुकूलन किया।
डिजिटल गवर्नेंस को बढ़ावा – GeM डिजिटल सेवा वितरण का आदर्श उदाहरण है, जिसने निर्णय प्रक्रिया को तेज़ किया और कागज़ी कार्यवाही घटाई।
₹15 लाख करोड़ GMV का मुकाम महत्वपूर्ण है, लेकिन GeM की यात्रा यहीं तक सीमित नहीं है। इसका लक्ष्य है—
समावेशन को और गहरा करना – अधिकाधिक वंचित समूहों को खरीद व्यवस्था में लाना।
नवाचार को बढ़ावा देना – विक्रेताओं को नई व तकनीक-आधारित समाधान पेश करने के लिए प्रोत्साहित करना।
दक्षता बनाए रखना – खरीदारों और विक्रेताओं दोनों के लिए इंटरफ़ेस व कार्यप्रवाह को और सरल बनाना।
अंतिम लक्ष्य है कि सार्वजनिक खरीद को समावेशी आर्थिक विकास का साधन बनाया जाए, आत्मनिर्भर भारत के उद्देश्यों को सशक्त किया जाए और 2047 तक विकसित भारत के विज़न को साकार करने में योगदान दिया जाए।
[wp-faq-schema title="FAQs" accordion=1]हर साल विश्व मृदा दिवस 5 दिसंबर को मनाया जाता है। मृदा को आम बोलचाल…
अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस हर साल 5 दिसंबर को मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम…
यूनाइटेड नेशंस (UN) एक बड़े इंस्टीट्यूशनल सिस्टम के ज़रिए काम करता है जिसे UN सिस्टम…
मिजोरम के पूर्व राज्यपाल और वरिष्ठ अधिवक्ता स्वराज कौशल का 4 दिसंबर 2025 को 73…
भारत विश्व की कुल जैव विविधता का लगभग 8% हिस्सा अपने भीतर समेटे हुए है।…
भारत में आधार का उपयोग लगातार तेजी से बढ़ रहा है। नवंबर 2025 में, आधार…